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भरेबिक एमिड
अरोचक
. शर्करा तथा तंतु खाद्य और व्यवहार कार्य में पाते दन्त, काले दाँत बाला । वै० निघः । · हैं। मेमो०।
| अरोग angit--हिं० वि० [सं०] रोग रहिन । अरेयिक एसिड arabic acid ई० अरविकाम्ल ।। नीरोग। फा०ई०१ भा०।
| अरोगी arogi-हिं० वि० [सं०] जो रोगी न अरेबियन कॉमटस arabial costus-ई० हो । नोरोग । चंगा ।
कूट, कुष्ठ-हिं० । पाचक-यं०। ( Saussu- श्रोच arocha-ह. संशा० पु० [सं० rea. lappa, Clarke.)। फा० ई० : अरुचि ] रुचि का अभाव । अनिच्छा ! त्याग | २ भा०।
| अरोचकः ॥rochakab--सं० पु. . अरेबियन जस्मिन arabian jius mine-इं० । अरोचक rochaka-fह संत्रा प० ।
बेला-हिं । वार्षिकी--सं० । (Jasminum ! ___जो रुचे नहीं। अरुचिकर ! (Disagreea: sambae.)
ble)। ना मग ब- अ०। एक रोग जिसमें भरेबियन मिह arabian myrrh-इं० बो(वो)ल अन्न प्रादि का स्वाद मुह में नहीं मिलता।
--हि०, बं०, गु० । (Baisamode dron, . अरुचिरोग। Sp.) फा०ई०१ भा० ।
संस्कृत पर्याय-अरुचिः, अश्रद्धा, अनभिअरेबियन लेबराडर arabian lavender--ई.
लापः । रा०। धारू-हिं० । उस्तुखुद्द स ( Lavandula
डिसलाइक . s]cechas, Linn.)
ऑफ फोर-फूड Dislike of अरेबियन सेना arabian senna-ई. सना
forefood, डिसगस्ट फॉर फूड Diyust for जबली, सना मक्की । ( Cassia angus.
foodi, faiferat Disrolish, varia tifolia, Juhi.) फा० इं० १ भा० सनाय :
avortion-इं। . विशेष।
निदान अरेयीस चाानेन्सिस् ara bis chinensis ___ ग्रह दुगंधयुक्र और घिनौनी चीजें खाने और -ले. एक पौधा विशेष ।
धिनीना रूप देखने तथा त्रिदोष के प्रकोप से उत्पन्न भरेयल areyal- मल पल वृद्ध, अश्वत्थ ।। होता है । लिखा है-- (Ficus religiosa. मे० मे०।
"वातादिभिः शोक भयाति लोभ ( भयाति लोभ 'भरेलिया aralia-इं० तापमारी । गिन-से
-भा०) क्रांधैर्मनोध्नाशनरूपगन्धैः । अरोचकाः स्युः ची। फा० इं०२भा०।
परिहष्ट दन्तः कपाय वश्च मतोऽनिले न ॥" अरेलिया एकीमारिका aralianchemiri- (मा० नि । भा० प्र०) . .. ea, Dene :--ले. बनखोर, चुरियल-पं० । अर्थ-वात, कफ, शोक,भय ( भयरोग), अत्यंत - मेमा०।
लोभ,क्रोध,अप्रिय भोजन तथा बुरे रूप का दर्शन अरेलिया ग्विल फॉय लिया aralia guil. और दुर्गन्ध इन सब कारणों से मनुष्यों के अरुचि
foylia-ले० तापमारो-हिं०। गिन् सेग- रोग उत्पन्न होता है । वात की अरुचि में रोगी के चो०। फा०.०२ भा०।
दन्तहप होता और मुख कषैला रहता है । अरोअरेलिया स्युडोगिन्सिङ्ग aralia pseudo- . चक के प्रधान पाँच भेद है--
ginseng, Benth., Wall., Pl., .., : (१) वातज, (२) पित्तज, (३) कफज, Rai, t., 1,37-ले० तापमारो-हिं० । गिन्सेंग (४) समिपातज और (५) शोकादि से उत्पन --चो०। फा०६०२ भा०।
. अर्थात् प्रागन्तुज । अरेलिएसाई :aliacen-ले० तापमारी वर्ग।
लक्षण ..अरोकदन्तः aroka-danta.h--सं० त्रि. कृष्ण- (१) वातारोचक-अम्ल पदार्थ के भक्षण
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