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अनार
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०४
अनार
दाडिम मूल त्वक् .
लें और इसमें इतना और परिश्रुत जल मिलाएँ अनार को जा की छाल, अनार को छाल कि प्रस्तुत क्वाथ पूरा एक पाउंट हो जाए। -हिं० । टाई कोर्ट क्स ( (iranati मात्रा- अाधा से २ फ्लुइड ग्राउंस=(१४२ से Contx)-ले. ! यॉमेग्रेनेट पार्क (Pome. I ५६८ क्युयिक सेंटीमीटर)। granati burk) ।कधुरम्मान अ.
(२) चूण किया हुअा मूलत्वक् २ से पोस्त अनार-ता।
३ दाम कृमिन्न रूप से । नोट-इसकी तिब्ली, बैरक संज्ञाओं से
(३) इसी का क्वाथ ( २० में १ )। यहाँ दाडिम फलत्यक् (जिसे हिन्दी में नस.
मात्रा---३ से ६ फ्लु० पाउंस। पाली कहते हैं ) नहीं समझना चाहिए; प्रत्युत
(४) मूल स्वक् का तरल सस्थ, मात्रा-- यह दाडिम वृक्ष के कांड तथा राहिम की जब
चोथाई से २ फ्लु. दाम । की छाले हैं। यानस्पतिक वन-इसके छोटे छोटे धनु
प्रभाष तथा उपयोग पाकार अश्रोन मुडे हुए या नजोदार टुकड़े होते . आयुर्वेदीय मन से-(चरक रक्रार्श में हैं जिनको लम्बाई २ से १ इंच तक सौर चौड़ाई - 'दादिम त्वक् ) अनार वृक्ष की छाल के कादा में अाध इंच से १ इंच तक होती है । छाल का सोंठ का चूर्ण मिलाकर पिलाने से अर्श रोगी का बाहरी खुरदरा धूसराम पीतवर्ण का और |
' कसाव विनष्ट होता है। (चि०६०)। भीतरी पृ: सचिक्कण पीतवर्ण का होता है । चक्रदत्त--(१) सरक्त अतिसार में यह सरलतापूर्वक टूट जाता है। यह गंधरहित दाडिम स्वक्-कुटज और अनार वृक्ष की छाल तथा स्वाद में कषाय किंचित् ति होता है। इन दोनों का क्वाथ प्रस्तुत कर मधु के साथ रासायनिक संगठन-इसमें पैलीटिएरीन
सेवन करने से दुर्निवार्य रजातिसार में भी शीघ्र या प्युनीसीन (अनारीन ) नाम का एक द्रव
विजय प्राप्त होता है। ( अतिसार चि०)। क्षारीय सत्व होता है। देखो-अनारवृक्ष
(२) उपदंश में दादिम वृक्ष स्वक् (अनार वृक्ष वर्णनान्तरगत रासायनिक संगठन ।
की छाल) के चूर्ण द्वारा उपदंश के क्षत को अव.
चूर्णन करने से व्रणरोपण होता है । ( उपदंश__ संयोग-विरुद्ध-ऐलकेलोज़ ( क्षारीय
चि.)। औषधे ), मेटैलिक साल्टस ( धातुज लवणे),
भावप्रकाश-इसकी जड़ कृमिहर है। लाइम वाटर ( चूने का पानी, चूर्णोदक ) और
युनानी एवं नव्यमत. अनार वृक्षकी छाल जेलेटीन ( सरेश)।
विशेषतः उसकी जड़ की छाल कद्दाना प्रभाव-संकोचक तथा त्रिकृमिहर ।
( Tapeworm) के लिए प्रत्युत्तम कृमिघ्न औषध-निर्माण-(१) दाडिम त्वक् । औषध है। इसको अधिक मात्रा में देने से चमन क्वाथ, अनोर की छाल का काढ़ा-दि। हिकॉ- एवं रेचन श्राने लगते हैं। इसके उपयोग की क्टम् ग्रेनेटाई कार्टेक्स ( Decocturn Gra- | सर्वोत्तम विधि निम्न है-- nati Cortex)-ले०। डिकांक्शन श्रीफ |
इसकी जड़ की छाल ५ तो०, जल २ सेर । पामेग्रेनेट बार्क (Decoction of Pome- इसका क्वाथ करें, जब एक सेर पानी शेष रहे anate Bark)-ई। मत बूरन क्रश- उतार कर छान लें। इसमें से ५ तो. प्रात
मोन-अ० । जोशाँदहे पोस्त अनार-फा० । काल खाली पेट सेवन करें (बालक को 1 से निर्माण-विधि- पामीग्रेनेट बार्क (अनार की
२ फ्लु. डा०) ऐसी ऐसी ४ मात्राएँ प्रतिछाल )का १० नं. का चूण ४ाउंस, परिश्रत श्राध श्राध घण्टा पश्चात् देनेके बाद एक मात्रा वारि के साथ १० मिनट तक क्वथित कर छान एरंड तेल का देकर प्रांतों को साफ कर दें।
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