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अपिसम्
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अपूर्वारसः अपित्तम् appittam-सं० क्लो. चिम्रक, | ___ कर गोलाकार बेले और पीछे इसको घी में
stari ( Pluinbayo zeylanicumi). पकाएँ । इसे ही 'अपूप' प्रभृति नामों से अभिप्रम।
धानित करते हैं। इसे बलकारक, हृय, रुचिकारक अपुन apunga-छो० नाग०, संता० तुलतुली, । भारी, वृष्य, तुष्टि देनेवाला पित्त और वायु को सिदोरी-यम्ब० । ( Holostomma j
शमन करने वाला स्था मधुर कहा है। चै० rheedii) ई० मे० मे०।
निघ०। अपुच्छ apuchchha-हिं० वि० पुच्छ रहित । (२) गोधूम, गेहूँ। (Wheat)रा० (Tailless ).
नि०व० १६। (३) इंद्री । “इन्द्रियम् अपुरुछा apuchchha-सं० स्त्री० शिशपावृक्ष ! अपूपः" । ऐ०२।२४। अथर्व० । सू० । -सं०। शोशव (-म-)-हिं० । A timber
५। का. १०। tree. ( Dal bergia Sisu)
अपूप्यः apupyah-सं० पु० (१) गोधूम, अपुत्र aputra-हिं० वि० [सं०] जिसके पुत्र
गेहूँ (Wheat)। (२) गोधूम चूर्ण, गेहूँ न हो । निःसन्तान । पुत्रहीन | निपूता |
__ का श्राटा, मयदा । ( Wheat flour). अपुरुष apurusha-हिं० वि० प. [सं. अपूरणो apurani-सं० स्त्री० (१)शाल्मली पुरुषत्वहीन, नपुंसक । ( Impotent) |
वृक्ष । सेमल (-र)-हिं० । (Bombax Malaअपुष्टः apushrah-सं० त्रि. अपरिपक्व, कच्चा ।।
___baricum ) श० च०। (२) कार्पास वृक्ष, (Immature).
कपास । (Gossypiurn Indicum). अपुष्पः apushpah-सं० पु. उदुम्बर वृक्ष, | अपूर्ण apāina-हि. वि. अधुड़ा । (Imper___ गूलर । ( Ficus glomerata). ____fect), अपुष्यफलदः apushpa-phaladah-सं० पु. अपूर्ण-मण्डलम् .purna-mandalam-सं०
पनसवृक्ष, कटहल । (Artocurpus inte- | | क्ली० अधुड़ा घेरा, अद्ध वृत्त । (Imperfect grifolia ) फणस-म०। रा० नि० 40 cirsle). ११ । बिना पुष्प के फल लगने वाले वृक्षमात्र ।।
अपूर्वारसः a.pur vorasah-सं० पु. कपूर. ( Flowerless tree ) रा०नि०।
रसः, उत्तम हींग १० तो० लेकर इसको २ मूषा अपुष्पित apushpita-हिं० वि० [सं०] पुष्प
बनाकर उनके भीतर २ तो० शुद्ध पारद डालकर रहित, बिना फूले हुए । Without flowers
दूसरी मूपा को ऊपर रखकर कपड़मिट्टी कर . (a tree or plant ), not bearing
दें। ऊपर वाली मूपा के तल में पहले से ही flowers, not in flowers.
एक बारीक छिद्र कर लें, फिर एक हाड़ी में अपूत a putta-हिं० वि० [ सं०] अपवित्र । नीचे थोड़ा सा यवक्षार और समुद्रलवण रख
अशुद्ध । -वि० [सं० अपुत्र, पा० अपुत्त } पुत्र- कर बीच में ऊपर वाला यंत्र धरकर ऊपर वही हीन । निपूता।
क्षार और लवण रखकर यंत्र को तिरोहित कर अपूपः a pupuh-सं० पु.
दें, उसके ऊपर साफ ठीकरे ढककर दूसरी हाँडी अपूप apipa-हिं. संज्ञा पु.
ऊपर रखकर कपड़ मिट्टी कर दें। फिर उसको (१) पिष्टक : पूरी, पूड़ी, पुश्रा--हिं० । पुलि सूखने पर चूल्हे पर रखकर - पहर तक साधारण पिटे-ब० । घारणे-म । कोई कोई इसे पाय रोटी ! आँच देना और ठण्डा हो जाने पर उन खपड़ों में कहते हैं। पूरब में इसे रोट अथवा सुहारी कहते लगी हुई सुवर्ण के सदृश चमकीली वजन में है । हला० । बारीक पिसे हुए गेहूँ के पूरी पारद भस्म मिलेगी। उसको बारीक कपड़े आटे में गुड़ मिलाकर जल से भली भाति मईन में रखकर पोटली बनाकर दोपहर तक दूध में
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