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अमरतान
अमरतानāamairtan उमैर्तान āumairtán
छोटी छोटी अस्थियां हैं जिन्होंने भीतर की ओर से घेरा हैं ।
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-श्र० जिह्वा
मूल में दो ऊर्ध्व कंठ को
नोट -- चूँकि चुल्लिकास्थि (Os Hyoid ) के अतिरिति कोई और अस्थि नहीं इसीलिए ये उपो अस्थि के दूसरे प्रवर्द्धन ( निकाल ) हैं
जिनकी लघुटक व वृहत् श्रृंग कहते हैं । अमरलगड्डु ainarata-dd-० श्रज्ञात ! अमरलता amara-lata - हिं० स्त्रो० गुरुच, सोमलता ( Tinospora cordifolia . ) श्रमरलता का बीज amara-lata ká-bíj - हिं० ० गुरुच बीज | Tinospora coldifolia ( Seeds of - ) श्रमरवल्लरी amara-vallari -सं०स्त्री० अमर बह्निका amara-vallika ( अकालबेल श्रमरवली amara-valli आकाशवली ( Cuscuta Reflexa. ) भा० पू० १४० गु० ब० मद० ० १ । श्रमरस & marasa - हिं० संज्ञा पुं० [हिं० आम+रस ] निचोड़ कर सुखाया हुश्रा श्राम का रस जिसकी मोटी पर्त बन जाती है। श्रमावट ! अमर सर्वयः amara sarshapah सं॰ पुं० देवसप राई | Sinapis juncea. । वै० नित्र० । See Deva sarshapa. अमरसालह, amra-salah अ० धेनुक श्रमुज नह amujjanah पक्षी, हरकीलड् ( गृध सह एक मांसाहारी पक्षी है)।
अमरसी amrasi - यु०, आस वृत ( Myr. tus comunis ) । हिं० वि० [हिं० अमरस ] श्राम के रसकी तरह पीला | सुनहला - यह रंग एक छटांक हलदी और ८ मा० चूना मिलाकर बनता है | अमरसुन्दरः amarasundarah सं० पु० पारद की भस्म, शिंगरफ, शुद्ध हरताल की भस्म और गन्धक इन सबको बराबर लेकर भांगरे के रस से और काकमाची के रससे भावना देकर
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श्रमरा
कुक्कुट पुट में पकाऐं, इसी प्रकार ५ वार करने से यह सिद्ध होता हैं । उचित मात्रा से उचित अनुपान द्वारा सभी रोगों को नष्ट करता है । र० प्र० स०, २० म० मा० अतिसार ज्वरादौ श्रमरसुन्दरी amara sundari-सं० स्त्री० ज्वराधिकार में वति रस, यथा- त्रिकटु, त्रिफला पीपलामूल, अकरकरा, रेणुका, चित्रक, विडंग, चातुर्जात, मोथा, लौहभस्म, पारद, विष तथा गंधक इनको समान भाग लेकर चूर्ण करें । पुनः इससे द्विगुण गुड़ मिलाकर कोल लर्धात् बेरी सदृश गुटिका निर्मित कर सवेरे सेवन
करें ।
प्रयोग० । श्वास, खासी अपस्मार, सन्निपात, गुदरोग, वातव्याधि और उन्माद को नष्ट करती है । वृ० नि० ० भा० वा० ।
श्रमरा amara=हि० संज्ञा स्त्री० [सं० ] (१) अभ्वाड़ा, श्राम्रातक | The hog plum ( Spondias man-gifera ) .. सं० स्त्री० (२) दुर्व्वा, दूब (Cynodon dactylon, Pers. ) | मे० रत्रिकं ।
(३) गुड़ची, गुरुत्र, गिलोय ( Tinospora cordifolia ) र० मा० । ( ४ ) इग्द्रवारुणीलता, इन्द्रायन - हिं० । राखालशशा -च ं० ! ( Citrullus Colocynthis ) रा० नि० ० ३ । ( २ ) नील दूर्वा, नीली ( या हरी ) दूब (Cynodon Linearis ) (६) गृहकन्या, घांकुधार ( Aloe Barbebedeis )। रा० नि० ० ५ । (७) नीली वृक्ष, नील (Indigofera indica ) (८) मेषशृंगी। मेढ़ालिंगी ( Gymnema sylvestres ( ६ ) वृश्चिकाली, बिछाती ( Fragia involnerata )। रा०नि० ० ८ । (१०) नदीजट, वटवृक्ष ( Ficus bengal ensis ) रा० नि०
० ११ । ( ११ ) चमड़े की झिल्ली जिसमें गर्भ का बच्चा लिपटा रहता है। श्राँबल, जरायु । ( Uterus ) । मे० रत्रिकं । ( १२ ) जेर, जेरी, खेड़ी, ( Placenta ) (१३) गर्भ
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