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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अमरतान अमरतानāamairtan उमैर्तान āumairtán छोटी छोटी अस्थियां हैं जिन्होंने भीतर की ओर से घेरा हैं । www.kobatirth.org ४६४ -श्र० जिह्वा मूल में दो ऊर्ध्व कंठ को नोट -- चूँकि चुल्लिकास्थि (Os Hyoid ) के अतिरिति कोई और अस्थि नहीं इसीलिए ये उपो अस्थि के दूसरे प्रवर्द्धन ( निकाल ) हैं जिनकी लघुटक व वृहत् श्रृंग कहते हैं । अमरलगड्डु ainarata-dd-० श्रज्ञात ! अमरलता amara-lata - हिं० स्त्रो० गुरुच, सोमलता ( Tinospora cordifolia . ) श्रमरलता का बीज amara-lata ká-bíj - हिं० ० गुरुच बीज | Tinospora coldifolia ( Seeds of - ) श्रमरवल्लरी amara-vallari -सं०स्त्री० अमर बह्निका amara-vallika ( अकालबेल श्रमरवली amara-valli आकाशवली ( Cuscuta Reflexa. ) भा० पू० १४० गु० ब० मद० ० १ । श्रमरस & marasa - हिं० संज्ञा पुं० [हिं० आम+रस ] निचोड़ कर सुखाया हुश्रा श्राम का रस जिसकी मोटी पर्त बन जाती है। श्रमावट ! अमर सर्वयः amara sarshapah सं॰ पुं० देवसप राई | Sinapis juncea. । वै० नित्र० । See Deva sarshapa. अमरसालह, amra-salah अ० धेनुक श्रमुज नह amujjanah पक्षी, हरकीलड् ( गृध सह एक मांसाहारी पक्षी है)। अमरसी amrasi - यु०, आस वृत ( Myr. tus comunis ) । हिं० वि० [हिं० अमरस ] श्राम के रसकी तरह पीला | सुनहला - यह रंग एक छटांक हलदी और ८ मा० चूना मिलाकर बनता है | अमरसुन्दरः amarasundarah सं० पु० पारद की भस्म, शिंगरफ, शुद्ध हरताल की भस्म और गन्धक इन सबको बराबर लेकर भांगरे के रस से और काकमाची के रससे भावना देकर Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रमरा कुक्कुट पुट में पकाऐं, इसी प्रकार ५ वार करने से यह सिद्ध होता हैं । उचित मात्रा से उचित अनुपान द्वारा सभी रोगों को नष्ट करता है । र० प्र० स०, २० म० मा० अतिसार ज्वरादौ श्रमरसुन्दरी amara sundari-सं० स्त्री० ज्वराधिकार में वति रस, यथा- त्रिकटु, त्रिफला पीपलामूल, अकरकरा, रेणुका, चित्रक, विडंग, चातुर्जात, मोथा, लौहभस्म, पारद, विष तथा गंधक इनको समान भाग लेकर चूर्ण करें । पुनः इससे द्विगुण गुड़ मिलाकर कोल लर्धात् बेरी सदृश गुटिका निर्मित कर सवेरे सेवन करें । प्रयोग० । श्वास, खासी अपस्मार, सन्निपात, गुदरोग, वातव्याधि और उन्माद को नष्ट करती है । वृ० नि० ० भा० वा० । श्रमरा amara=हि० संज्ञा स्त्री० [सं० ] (१) अभ्वाड़ा, श्राम्रातक | The hog plum ( Spondias man-gifera ) .. सं० स्त्री० (२) दुर्व्वा, दूब (Cynodon dactylon, Pers. ) | मे० रत्रिकं । (३) गुड़ची, गुरुत्र, गिलोय ( Tinospora cordifolia ) र० मा० । ( ४ ) इग्द्रवारुणीलता, इन्द्रायन - हिं० । राखालशशा -च ं० ! ( Citrullus Colocynthis ) रा० नि० ० ३ । ( २ ) नील दूर्वा, नीली ( या हरी ) दूब (Cynodon Linearis ) (६) गृहकन्या, घांकुधार ( Aloe Barbebedeis )। रा० नि० ० ५ । (७) नीली वृक्ष, नील (Indigofera indica ) (८) मेषशृंगी। मेढ़ालिंगी ( Gymnema sylvestres ( ६ ) वृश्चिकाली, बिछाती ( Fragia involnerata )। रा०नि० ० ८ । (१०) नदीजट, वटवृक्ष ( Ficus bengal ensis ) रा० नि० ० ११ । ( ११ ) चमड़े की झिल्ली जिसमें गर्भ का बच्चा लिपटा रहता है। श्राँबल, जरायु । ( Uterus ) । मे० रत्रिकं । ( १२ ) जेर, जेरी, खेड़ी, ( Placenta ) (१३) गर्भ For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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