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अम्बर
अम्बरबेद
स्तम्भ, अबसन्नता, शिरःशूल तथा अविभेदक | अम्बरतुश्शिता aambaratushshita-to श्रादि वात रोगों को लाभप्रद, वेदना तथा वायु । शीताधिक्य, कठिन शीत, सरूत जाड़ा । का परिहारक और कास, फुप्फुसस्थ क्षत, हृदय | अम्बरदः ambaradah-सं० पु. कपास, की निबलता, मूर्छा, प्रामाशय तथा यकृत् की । कार्पास | (Gossypilun Indicum) वै० निर्वलता तवं कामला, जलोदर, आमाशय शूल, निघ। जीह वेदना और संधि शूल को लाभ पहुँचाता ! अम्बरबारी ambara-bari-हिं० संज्ञा पुं. है । म. मु. । बु० मु.।
[सं०] एक क्षुप है। दारुहरिद्रा, दारूहल्द, सार्वागिक निर्बलता, अपस्मार, प्राक्षेप : चित्रा । ( Ber beris Asiatica.) और वातनैर्बल्य ( Nervous debilitr.) अम्बर बारीस ambal-barrisa-यु, अ. में इसका प्रयोग किया जाता है। विसंज्ञता एवं जरिएक,दारुहल्दी दारुहरिद्रा । (Berberis.) उन्माद युक्र तीव्र घर, विसूचिका के कोलेप्स की अम्बर बारीसियह. ambar barisiyah-अ. अवस्था, प्लेग तथा अन्य संक्रामक च्याधियों में ।
: एक प्रकार का आहार जिसे ज़रिश्कियह भी भी इसका उपयोग किया जाता है। यह पाक
ब ने । मअजून रूप में व्यवहृत होता है । इं०मे०मे०।।
'अम्बरवेद aambar-bed.nा० गुले अर्थ, जुपलापैथी चिकित्सा में अम्बर का विशेष व्यव
दह ( जादह )-अ० 1 फुलियुन ( Fuliyun) हार रोग निवारणार्थ नहीं होता ( यहाँ यह केवल
-यु० । पोली जर्मेण्डर (व्यु क्रियम् पालियम) सुगन्धियों में प्रयुक्त होता है)। हाँ ! होमियो
Poloy Germander ( Teucrium पैथी में उन हेतु इसका प्रचुर उपयोग होता है। अस्तु, वे स्त्री रोगों यथा योषापस्मार ( Hy.
Polium, Lin.)-ले० । ( फा० ई०३
भा०) sterin.) या उससे मिलते जुलते रोगों में
तुलसी वर्ग अम्बर का विशेष उपयोग करते हैं। उनका कहना है कि उन अवस्थात्रों में श्रम्बर शीघ्र ही प्रभाव ।
(1.0. Lulint ae.) प्रगट करता है। खिन्नता, बुरे विचार, अनिद्रा,
उत्पत्ति-स्थान- अरब (जद्दा)। मानसिक अवस्था के कारण दर्शन तथा वण- वानस्पतिक-वर्णन--(भंगरा या कोई और शक्ति का ह्रास आदि योपापस्मार या तत्सम बटी है )। जुनदह वस्तुतः शेह ( दरमनह. उत्पन्न होने वाली व्याधियों में दृष्टिगत होने वाले जौहरी जवायन ) की एक जाति है जिसमें शा. कुलक्षणों में श्रम्बर का बड़ा ही उत्तम प्रभाव खाएँ होती है। इसके पुष्प पीताभ श्वेत और प्रत्यक्ष देखा जा सकता है।
पत्ते श्वेत पतले तथा लोमश होते हैं । यह लगविशेष वर्णन के लिए देखिए होमियोपैथिक भग एक बित्ता ऊँचा होता है । इसके शिरों पर निघण्टु प्रभृति ।
बालों का गुच्छा होता है जिनमें बीज भरे होते हैं अम्बर. amber-इं० एक प्रकारका निर्यास, कहरुबा यह दो प्रकार का होता है--(१) छोटा और
-फा०, हिं० । देखो-ससीनम ( Suc. (२)बड़ा । cimum. )
नोट- यद्यपि जुह का वर्णन मूजिज़ल अस्यर अशव aambal-ushhab-अ० (A कानून एवं अक्स राई में विद्यमान है, तो भी
kind of anber) एक प्रकार का धूसराम वर्तमान नतीसी में इसका वर्णन न था। श्वेत अम्बर । देखा-अम्बर ।
कदाचित् प्रकाशकीय भूल से रह गया हो। अम्बर ग्रीस amber-gris-ई.
__ प्रकृति-छोटा ३ कक्षा में उपण और २ कक्षा अम्बरमसिया ambragrsea-ले०
में रूक्ष है; बड़ा २ कक्षा में उप्ण व रूक्ष है। अस्वर।
परन्तु दोनों मूत्र और प्रात्तवप्रवत्तक हैं एवं
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