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अमलतास
दूध वा किसमिस के रस ( क्वाथ के साथ ग्रारग् वध फल मजा सेवन करनेको दें। त्रि० ६ ० । ( २ ) रक्तपित्त में श्रारग्वध फल - श्रमल तास की फली की मज्जा को प्रचुर परिमाण में मधु और शर्करा के साथ उर्ध्वगत र पित्त रोगी को विरेचन के लिए सेमन कराएँ । ( चि०४ श्र० ) ।
( ३ )
पित्तदर में ।
आरग्वध का फल - काथ विधि से श्रमलसास के फल के गूदा का काढ़ा तैयार कर पित्तीदर रोगी को सेवन कराना चाहिए। (चि०१८ श्र० 1
( ४ ) कामला में श्रारग्वध फलश्रारग्वध फल मज्जा को इबु, भूमिकुष्माण्ड वा को श्रमले के रस के साथ कामला रोगी को सेवन कराना चाहिए। इससे कामला का नाश होता है । (चि०२० ० ) ।
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(*) कुष्ठ श्रारम्यव पत्र -- श्रमलतास के पत्र को पीस कर कुष्ट में प्रलेप करें। ( चि० ७ श्र० ) ।
६) विसर्प में श्रारग्वध पत्र – श्रमलतास के पत्र को बाटकर घृत मिला कफज विसर्प में प्रलेप करें। (त्रि० ११ ० ) ।
(७) उरुस्तम्भ रोग में अमलतास के पत्र का शाक-तिल तैल द्वारा अमलतास के पत्र का जल में लवण रहित शाक सिद्ध कर ऊरुस्तम्भ रोगी को सेवन कराएँ । ( चि०२७ श्र० "वेारग्वध पल्लवैः "
सुश्रुत -- (१) उपदंश में क्षत प्रचालनार्थ प्रारग्वध पत्र -जाति ( चमेली ) तथा आरवध इन दोनों के पत्र का काढ़ा कर उससे श्रीपदंशीय चत का प्रचालन कराएँ । ( चि० १६ श्र० )
( २ ) हारिद्रयमेह में आरग्वध-प्रमलतास के पत्र वा मूलस्वक् का काथ हरिद्रा मेही को सेवन कराएँ । ( चि० ११ अ० )
वाग्भट - ( १ ) कफ विधि में श्रारग्वध पत्र - आरग्वध पत्र के क्वाथ से कफज विद्रधि के क्षत को धोएँ । ( चि० १३ श्र० ) ।
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अमलतास
(२) कफज अरोचक में श्रारग्वधश्रारग्वध फल मज्जा तथा अजवाइन इन दोनों के द्वारा निर्मित काथ को कफज अरोचक में पान कराएँ । (त्रि० ५ ० ) ।
( ३ ) राजयक्षमा में श्रारग्वध - बहुदोष, बलवान यदमा रोगी को विरेचनार्थं मधु, शर्करा तथा घृत के साथ अथवा दुग्ध वा श्रन्य तर्पक वस्तु के साथ श्रारग्वध फल मजा का सेवन कराएँ । (त्रि ५ श्र० ) ।
( ४ ) कुष्ठ में आरग्वध मूल-अमलतास की जड़ के काढ़े से १०० बार घृत का पाक करें । इस घृत को कुष्ठ रोगी को पान कराएं। श्रौषध सेवन काल में स्नान वा पानार्थ खदिरयुक्र जल का व्यवहार कराते रहें। (त्रि० १६ श्र० ) ।
भावप्रकाश -- आमत्रात में श्रारग्वध पत्र -- सरसों के तेल में अमलतास के पत्र को भूनकर सायंकाल भोजन के साथ इसका सेवन करें । यह श्रामदोषनाशक है ।
चक्रदत्त - ( 1 ) पित्तज्वर में श्रारग्ववपित्तज्वरी को अमलतास के गूदा तथा किसमिस द्वारा प्रस्तुत क्वाथ का पान कराएँ । ज्वर० चि० ।
(२) गण्डमाला में आरवध मूलताजे अमलतास की जड़ की ताजी छाल को चावल के धोत्रन से पोसकर नस्य देने तथा गण्डमाला पर प्रलेप व अभ्यंग करने से इसका नाश होता है । गण्डमाला चि० । बङ्गसेन - इव किटिभ कुष्ट में धारग्बध
पत्र --
अमलतास के पत्र को पीस कर लेप करने से उम्र कुछ और सिध्म आदि कुष्टों का भी नाश होता है ।
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वक्तव्य
राजनिघण्टुकार के मत से शुद्र अमलतास का नाम कर्णिकार है । यह मालूम नहीं होता कि यह किस अंश में छोटा है। धन्वन्तरि rough affare का एक नाम "आरोग्य शिम्बी" और राक्षनिबंदूक दूसरा नाम “पंक्रि बीजक " हैं ।