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अन्तर्वृद्धिः ।
अन्तुलहे सौदा भोजन, सूखाहुआ शाक और खट्टे पदार्थों को खाने अन्तस्वक autastvak--सं० पु. (१)अन्तरसे, अत्यंत मैथुन करने से, श्रान से, मल मूग्रादि कला (Epithelium)! (२) अधःस्वक वेगों को रोकरे से, अत्यंत उषण पदाश्री' से, (वृक्ष)। दाहजनक पदार्थों से, अलग अलग अथवा
अन्तस्नेहफला anta-sneha-phala-सं०स्त्री० सब एकत्र मिलकर कोपको प्राप्त हुए दोप गुदाके
श्वेत कंटकारी, सफेद भटकटाई, श्वेत कंटकाभीतर, यंतय संधियों के भीतर, कोख में, बगल
रिका (री), श्वेत कंटारिका। में, प्लीहा और यकृत में, हृदय में अथवा तृपा
अन्तयुधिर antassius hira--सं० पु. भीतरी लगने के स्थान के भीतर साँप की चाँबी और
छिद्र। (Hollow ). ॐचे गुल्म के समान विधि उत्पन्न करते हैं।
अन्तामरा antamarar-बं० मरोड़फली, मरोड़ी, इन विद्धयों के ल तण बाहर की विद्रधियों के
महता-गों, हिं० । (Helicteres Isora, समान जानना चाहिए । भा0 म. २। विद्रधिः
Lirin.) ई० मे० प्ला० । अन्तवृद्धिः anti.
iriddhih. सं. प. अंत्रवृद्धि रोग, प्रांत उत्तरनेका रोग । (Lexia).
अन्तावसायों (इन) untavasayi सं० पु. अन्तर्वेधः antarredhah--सं० पु. मर्मभेद,
(1)नापित, नाई, हजाम । (A Barbar, मन पोड़ा ! (Serious Pain.)
a. shavar) मे०। (२) हिंसक ।
चांडाल । अन्तल autala- कना० रीठा। (Supindusi 'Trifoliatus ) फा० ई०१ मा०1 श्रान्त
प्रतिकantika --हिं० पु.. सीप, पास। अन्तलीसautalis--य. एक बूटी है जो वृक्ष तथा मन्तिका antika-सं० मी. (१) सातला,
घास के मध्य होती है । इसके पत्ते मसूर के पत्तों सीकाकाई ( Acacia concinna, के समान होते हैं और इसकी शाखाएँ अत्यंत | D..)। (२) चुलि । मे० कनिकं । खुरदरो और एक बालिश्त के बराबर होती हैं । अन्तम antima-हिं० वि० [सं०]( Fips), (A plant.)
ultimats ) जो अंत में हो, आखिरी । अन्सशच्या antashayyi-० नो० मरण, ! सबसे पिछला, सबसे पीछे का । (२) चरम |
मृत्यु । (Dying, death ). मे०। (२) सबसे बड़के। मृत्युशय्या. मरण खाट, भूभिशय्या । (३) श्मशान, अन्तुलह altulalh-अंदलुसी० एक बूटी है। मसान्न, नरघट ।
यह दो प्रकार की होती है। (१) अंतुलहे अन्तश्श्रोत्रम् antashshrotram-सं० क्ली ।
बैजान तथा (२) अंतुलहे सौदाश् । अंतःस्थकरणं । ( Iiiterilal ead.)
अन्तुलहे बैजा antulahe-baizaar अंदअन्तश्श्रोत्रमार्गः antashshiotra-nāgahi
लुसी० साधारण इन्दुलसी ( Spainish) -TOTO (Internal Acoustic Hea
लोग इसको भी फहीक कहते हैं। इसके व्यरो tus) अंतःस्थकर्ण सुरंगा । कर्णान्तरनाली ।
समाय के पशों के समान होते हैं, गंध सीचरण, अन्तश्श्रोत्रमार्गद्वारम् antashshrotra. ma.
सुगंधियुक्त और स्वाद मधुर होता है। इसके पसे rgadwaram-सं० क्ली० (1Porus Aco- उपयोग में पाते हैं। ये समस्त विषों के अगद usticns Interus). कान्तर द्वार ।
हैं । यह बूटी इंदुलस (Spain), चीन, अन्तस्तल antastala -संहिं० पु. भीतरी
तिब्बत और भारतवर्ष के पर्वतों में उत्पन अन्तस्थल autasthala | भाग। भीतरीतल | (Endplates, Internal Sur
होती है। face ).
अन्तुल सौदा antulahe soudia-अंद
लुसा. इसको जदवार, इंदुलसी (Spainisb)
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