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अनइंह
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अनन्तः
गोभी-हि० । गोजिया शाक-बं० । रा० नि. (२) नलतण-सं०। नरकट-हिं० । Phha
TOPI( Elephantopus, Scabor.) gmites kurkes | मद० व० । अनडुह anaduha-हि. संज्ञा पु० [सं०] | अनन्त गुण मण्डरम् anantaguna ma. __वैल । वृष । (An ox).
ndiram-स. क्ली०(नवायस मरडर)गन्धक, मनडुही amaduhi-सं०(हिं. संज्ञा) स्त्री सुहागा, पारा, त्रिकुटा, त्रिफला पृथक् पृथक् सम.
मी गवि । गाय । (A cov ) देवो-गाय ।। भाग लें और सर्व तुल्य लौह किट्ट शुद्ध मिलाएँ । मनवान् anadvān-सं० पु०, हिं० संज्ञा पुं० पुनः सब से दूने गोमूत्र में पकाएँ ओर फिर (A bull, an ox) वृष-सं० बैल
सर्व तुल्य पुरातन गुड़ मिलाकर घोटें। मात्रा
माशे । न्थ्य छाँछऔर चावल खाना चाहिए। साँड़-हिं। इसके पर्याग-बलीव, बृपभ, ! वृष, अनवान, सौरभेय, गौ, उक्षा और भद्र
गु णा-इसके सेवन से क्षग और पांडुरोग का बैल के संस्कृत नाम हैं। भा० पू० । रमा० । नारा होता है । ररु. पाँ० सा।
( the Sun सूर्य। (उपनि)। ! अनन्त मूलम् anantamulam-स'. की. अनड़वाही anadvahi-सं० स्त्री० (A cow), : (.) करालाख्य औषध । देखो-कराल ।
स्त्री गवि-सं० । गाय-हि। इसके पर्याय-सुरभि, (२) सुगंधा। (३)वचा भेद । श. चि०। सौरभेयी, महेयी और गौ ये गाय के संस्कृत नाम : (४) अनन्ता । देखो- शा(सा-)रिवा।। हैं। हला।
अनन्त ठूलो ananta.muli-सं.क्लो। (1) अनण: amanuh-सं० पु०, क्ली. सूक्ष्म धान्य ।।
दुरालभा ! (Alliagi Maurotum)1(२) ___ सरुधान-वं० । वै. निय० ।
रक्रदुरालमा Alhagi maurorum (the अनत ana ta-हिं० वि० [सं०] न झुका हुआ। _red variety of-) . निघः । सीधा।
अनन्तरन्ध्रका allanta-randhraka- सं. अनत्रजनोय alhatsa-janiya. हिं० वि० स्त्रो० खर्पर पोलिका । श्रास्के विटे-बं० । ०
( Non-mitrogamous ) नत्रजन विहीन । निघ। वे पदार्थ जिनमें नत्रजन नहीं होती जैसे-वसा अनन्तवातः allanta-vatah- सं० प. ( चरबी), शर्करा ( शकर ), श्वेतसार (मांड), उक्र नाम का शिरोरोग विशेष । लक्षण जिसमें अनद्यः anadyah-सं० पु. गौरसर्षप-सं०। तीनों दोष कुपित होकर मन्या ( गर्दन ) की श्वेत सरसों-हिं . । (Brassica. juneea). :
नाड़ी को तीव्र पीड़ा समेत अति पीड़ित कर, रा० ।
चक्षु, भौंह कनपटी में शीघ्र जाकर विशेष स्थिति अनद्यतन anadyatana-हिं० वि० [सं०], __ करते हैं, और गण्ड स्थल की बगल में कंप, अद्यतन के पहिले वा पीछे का।
ठोड़ी की जकड़न और नेत्र रोगों को करते हैं। अननस a.mala,S-म० । देखो अनन्नास।
इन तीनों दोषों से उत्पन्न हुए शिर रोग को अननाश ananasha-बं. छोटा घीकुवार, छोटी .
बोरासीमार हो "अनन्तवात" कहते हैं। मा०नि०। ग्वार-हिं० । { Aloe litoralis ) ई० मे. अनन्तः anantah-सं० पु०,(1) दुरालभा | मे ।
(Alhagi maurorum) वै. निघ० अननाल avanasa-हिं०, मल०, मह, गु० .
२ भा०, अनन्तादि चूर्णोक,सबज्वर प्रकरणोक । अनन्नास, अनरस-हिं०1 (Ananas sati-:
(२ ) सिन्धुधार वृक्ष अर्थात् सम्हालू Fus) ई० मे०. मे
(Vitex negundo)(३) अभ्रक अनन्तकः anantakah सं० पु. (१)म् | धातु | Tale (Mica ). रा. नि० घ.
जक, मूली । ( Rapharious sativus ). १३ । (४) आकाश।
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