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अजीरी
व्यवहृत है। मुख व्रण में इसका दूध लगाया जाता | बच्चों के यकृत रोग में इसका उपयोग लाभदायक है । शुष्क श्रञ्जीर, बादाम की गुड़ी, पिस्ता, इलायची छोटी, चिरौंजी, बेदाना, शकर इन सबको समभाग लेकर चूर्ण बनाएँ और उसमें किञ्चित् केसर मिलाकर पुनः उसे आठ रोज तक गोत में डुबो रक्वें । मात्रा -२ तो० प्रति सुत्रह । गुगा-- श्रत्यन्त पुष्टिकारक एवं कामोद्दीपक |
२ या ४ तर और थोड़ा सा शर्करा चूर्ण इन दोनों को मिलाकर रात्रि में आरेख में सुला हुआ रक्वें और सवेरे इसे खाएँ । इसी प्रकार पत्रभर करें । गुण - शारीरोज्नाशामक, निर्बल मनुष्य के श्रोष्ठ, ज़बान और मुख चिड़चिड़ाते हों उनके लिए ताजा अंजीर उत्तम बलवद्धक श्रीष है। इ० मे० मे० ।
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विधता, वस्ति तथा फुफ्फुस व्याधि में पध्य रूप से इसका विशेष उपयोग होता है । (to to cato)
डॉक्टर मत
विटिश फार्माकोपिया में जीर श्री. फिराल हैं । प्रभाव-मभेदक या कोष्टमृदुकारी | यह कन्कयो सेना में पड़ता है । प्रयोग यह
श्रीरपोषक मेवा है । साधारण विष्टब्ध रोग में इसके कुछ दाने निहार मुँह खाने से कब्ज दूर हो जाता हैं । किन्तु इसके बीज यांत्र में किंचिद्धर्षण करके कुछ मरोड़ उत्पन्न करते हैं । श्रीरो anjiri-हिं。 संज्ञा स्त्रो० खबार, गुलनार, बेड़, बेडू | फाइकस ( Ficus Pal (mata, Fors/. ) - ले० | भगवाड़, काक, कोक, हेड, इंजर, फांग, किर्मी, फगोरू, फागू, फोम, खबारी, फेमा, थपुर, जमीर धूड़, धूड़ी, बहूलिया पं० | फगवार - पश्तु० 1 अंजीर, ईजर - अफ्० । केभ्ब्री - राजपु० धौरा - म० प्र० । मैंपरी - गुज० । भगवार, थपुर - ( ऊर्ध्व भारतीय मैदान ) । ई० मे० लां० ।
वादि वर्ग
(N. O. Urticacea.) उत्पत्तिस्थान - उत्तर पश्चिम भारतवर्ष,
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अज्जुकक
पूर्वीय सिन्धु नदी से लेकर अवध पर्यन्त, हिमालय पर्वत ( ३००० फीट की ऊँचाई पर ) और श्रानू पर्वत |
उपयोग- इसके फलमे मुख्यतः शर्करा तथा लुात्र वर्तमान होते हैं, तदनुसार यह स्नेहजनक एवम् को प्रडुकर प्रभाव करते हैं। कोटवद्धता ( विवन्ध ), फुफ्फुस एवम् वस्ति रोगों में यह मुख्यकर पथ्य वा आहार रूप से व्यवहार में आते हैं । इनका पुल्टिस रूप में भी प्रयोग होता है | ( Punjab Products.)
Hajire-ahmaga का ० गुल्लर, गूलर - हिं० । फाइकस ग्लोमरेटा Ficus glomerata, Ro : b. (Fruit of - ) - ले० ।
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दम anjire-adama- का० गुल्लर, गूलर हिं० । किसी किसी ने ग्रन्य फल का नाम लिखा है जिसको हिन्दी में "कलह " कहते हैं । यह कालके पर्वतों पर उत्पन्न होता है। हकीम अली गोलानी के कथनानुसार एक भारतीय वृक्ष का फल है जो इन्द्रायन के समान गोल और रक वर्ण का होता है। लु० क० । श्रखोरे दश्ती anjire-dashti-फू० काकोदुम्बरिका सं० | कटूसर, कट्म्बरी, कठगूलर, जंगली श्रञ्जीर-हिं० | देखो - कटुम्बर | Ficus oppositifolia, Paab ( Fruitof-) - ले० 1 लु० क० । स० [फा० ई० । नेपाल anjire-naipála-यज्ञछालनेपा० ।
अजोरे बग्दादी anjire-baghdadi फ़ο अखरोट वृक्ष के बराबर लम्बा एक वृक्ष है जिसके पत्ते चिनार पत्र सहश और फल अञ्जीरके समान होते हैं । रुक अयमानां (देखो ) का फल | लु० क० ।
श्रञ्जीरे यमन anjire-yamana-फा० अंजीरे बग़दादी । लु० क० । श्रञ्जोलक anjilaka - माजन्दरानी खुच्चाज़ो का पौधा | लु० क० ।
अञ्जी anjisha- सिराजुल कुतरत्र । लु० क० ।
अञ्जुक anjukak - का० Pyrus comm
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