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प्रतास
अतुल्जन
यूनानीमतानुसार
मात्रा में उपयोग करना चाहिए जो स्वयं मेरे प्रकृति-२ कहा उष्ण और १ कहामें रूत। अनुभव के अनुसार १ से २ डाम तक है। स्वाद-किञ्चित् यिकता । हानिकारक--श्रामा- २॥ डाम तक यह सर्वथा निरापद सिद्ध होता शय . के लिए । काबिज़ है । वपन्न-सई व तर है । लघुतर मात्रा (२० से ४० प्रेन) में यह वस्तुएँ । मात्रा शबंत-प्राधा से १ माशा उत्सम वल्य है । परन्तु, इससे इसका परियाबतक । मुख्य प्रभाव- श्लेष्मघ्न और वायु- निवारक प्रभाव अत्यन्त न्यून होता है। ( मेटिलयकर्ता।
रिया मेडिका श्राफ मेडरास न खंडपृ. ४) गण, कर्म, प्रयोग-अतीस कामोद्दीपक, आर. एन. चोपरा एम० ए० एम० सु' सुधावर्द्धक, स्वर प्रतिरोधक, कफ तथा पित्त मन्य | पहाड़ो लोग इसको प्रभावशून्य रूपसे भली विकारों को नाश करनेवाला, अर्श, जलोदर प्रकार जानते हैं एवं इसे शाक रूप से खाने के तथा कफ वा पित्तजन्य वमन एवं अतीसार को। काम में लाते हैं। देशी श्रीपध में यह न एवं दूर करता है। वायुको लय करता और श्लैष्मिक | तिक बल्य रूप से व्यवहत है। इस देश में रोगों को लाभप्रद है। म० अ०। (निर्विवैल ) इसको परियायनिवारक, कामोद्दीपक, काय
नयमत-प्रतीस, तिक, पाचक, वृष्य, बल एवं बल्य रूप से व्यवहार में लाते हैं । कारक पुर्व ज्वरप्रतिषेयक है और जर तथा उम्र : (इंडिजिनस इग्स ऑफ इण्डिया) प्रादाहिक-विकारादि-जन्य रोगावसान की द। में | अनीसारः atistiah-सं० ( हिं० संझा दौर्बल्य दूर करने के लिए इसका व्यवहार होता
पु.) देखो-अनिसार ( Diarrhoea). है। कास, अजीर्ण और अग्निमांद्य में असीस का |
अतुकार्णी atukarni-सं० श्री. जमालगोटा उपयोग किया जाता है। इन सब रोगों के उप- ।
( Croton polyandrum, Roxb. ). सर्गरूपसे हए अतिसार में इसे सुगन्ध,तिक एवं !
देखो-दन्ती। कप.य द्रव्यों यथा गुरुच, करंज और कुटज प्रादि के साथ एवं ज्यर प्रतिषेधक रूपसे मलेरिया ज्वरों
अतुतिन्लप atutinlap-मल. गृध्रणी, धूम्रपत्र, (विषम ज्वरों) में इसका योग किया गया
पत्र-सं० । गुधाटी, किरमरा-हि., ग०, और इससे कुछ सफलता भी हुई; परन्तु क्वीनीन
द०, बं० | Aristolochia Bractenta की अपेक्षा यह अत्यन्त निम्नणीका सिद्ध हया
ले० । Birth-wort, worm-killer विट के साथ इसको सेवन करने से प्रांत्रस्थ
-। ई० मे० मे०। कृमियाँ निर्गत होती है। ( मेटीरिया मेडीका | अतुनेदी atulveti ता. सोल- sch. श्रॉफ इंडिया-२ य० खंड ३ पृ०)
___ynomen Aspars). पौकान,-पौक न्यु ___ मोहीदीन शरीफ
-बर। प्रभाव-ज्वर प्रतिषेधक ( परियाय उवर । .
| अतुलः atulah-सं० पु. ) ( ) कफ नाशक ), ज्वरन और यल्य । उपयोग--सवि.
'अतुल atula हिं. संज्ञा पु० । रलेष्म । राम ज्वर तथा सामान्य स्वल्पविराम या निता (phlegm)। (२)तिल का वृक्ष; सिलीका पेड़ ज्वर, कई तरह के अजीण एवं नैवल्य में लाभ
-हिं० । तिलः (क:)व-सं० । ( Sesamum दायक है।
orientale ) Too श्वेत अथवा साधारण प्रकारका प्रतीस अत्यंत प्रतुल्जम atuljan-१० देबर कखुम, काखूरी, लाभप्रद परियायनिवारक (Antiperiodic): गुगुल, बन्दाह-पं० । मर्सिनी अफ़रिकेना एवं ज्वरघ्न है; किन्तु इसके सर्वोत्तम एवं । ( Myrsine Africana, Lin.), निश्चित प्रभाव के लिए इसको पूर्ण औषधीय; मा थाइफेरिया (M. Bifuria, fall.)
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