________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अरंडखरबूजा
२२३
अण्डधारक रज्जुः के फटने ) में इसके बोल (१० में ) का ग्रन्धि विषयक शोधों प्रभति के लय करने के सफलतापूर्ण उपयोग किया ! हिट० मे. मे० । लिए पैपीन का स्थानिक उपयोग होता है। निसा की कगना तथा जिह्वा और कंड की पतज | अगडगः nndagab-सं० पु. Wheat 'अवस्था में चाहे वह श्रौपदंशिक हो या अन्य,
(Triticum sativum, Linn.) 7. १ श्रीस ग्लीसरीन में १० से २० ग्रेन पेपीन
धूम, गेहूँ । वै. श०। का घोल बनाकर उसमें वेदना हरणार्थ किञ्चित् ; अगडगजः and gajah-सं.पु. (Cassia कोकीम सम्मिलित कर इसको बुरा से लगाने से ।
___ Ton, liun.) चक, चक्रमई सुप अत्यन्त लाभदायक प्रभाव होता है । औपदंशिक -
___-हिं० । रा०नि०व०४ तथा शतज मुम्ब वा कण्ठ में मि. ३० एन० । अराडगा धमनियाँ andagarihanmaniyan फेधिक उ प्रयोग के स्थान में पपीन ग्रेन __-हिं० संज्ञा स्त्रो० (ब० व.) Spermatic
Arteries अण्डकोष को रक ले जाने वाली तथा कोकीन ग्रेन इनके द्वारा निर्मित टिकिया
नलियाँ। के उपयोग की असीम प्रशंसा करते हैं। पेपीन : इण्डजः andajah-सं० पु । (१) अण्डे के द्वारा प्रौपदंशीय धच्छे तत्काल लुप्त होते हैं।
है अगडज andaja-हि. संज्ञा से उत्पन्न श्रीर कोकीन के प्रभाव से निगलन में वेदना का !
होने वाले जीब, अरडे से जिसकी उत्पत्ति हो, बोध नहीं होता एवं प्रदाहित श्लैदिमक कला को
यथा-वर्ष, मत्स्य, पक्षा और छिपकली शान्ति मिलती है।
प्रभति । ये चार प्रकार के जीवों में से एक है। चिकित्सक लोग जब ऐसे रोगी की परीक्षा श्रोत्रीपेरस श्रींग Ovipurous being-३० । करने जाते है जिसमें कंडकी श्लैष्मिक कला के हि . डि. । (२) मत्स्य (A Fish)। संक्रमण का भय होता है तब वे उन टिकिया को
(३) पक्षी (A birtl)| भा० पू०२ भा० । रक्षक रूप से अपने साथ ले जाते हैं।
(४) A smake सर्प, सांप। (E) त्वक गंग-पुरातन कंद (Eczer : अण्डा anda-ja-सं० स्त्रो
( ) ma), विशेषतः हस्तपादस्थ, विचचिका (Pso अण्डजा andaja-हिं० संज्ञा स्त्री० । गिरगिट, riasis ), हाथ की हथेली की प्रधर्द्धित अवस्था, . शरट- शेमेलिअन (A chemeleon) कदर या घट्टा ( corn), मशक ( Wart)
-इं० । वि०। (२) सर्प-हिं० । सपेंट (A तथा त्वकाटिन्य में उसको प्रथम जल व साबुन
Serp::nt)-इं० । (३) मत्स्य-हिं० । से प्रक्षालित कर दिन में दो बार निम्नोल्लिखित
फिरा (A fish)-ई.। (५) पती-हिं० । घोल के लगाने से लाभ होता है । जैसे- पेपीन |
बई (A bird)-३० । मे०जत्रिका (५) १२ प्रेन, टण ( सुहाग) ५ ग्रेन तथा जल ५ : ( Musk ) मृगनाभि, कस्तुरिका । ट्राम, यथा विधि घोल प्रस्तुत करें।
वाहेमा। इमके ताजे दुग्ध को दिन में दो तीन बार : अण्डधारक रज्जुः anda-dhāraka-rajjuh दद्रु पर लगाने से लाभ होता है।
-सं० पु. Spermatic cord ) (१) कर्ण नाव-मध्यकर्ण के पुरातन : मालीकुल नुम यह हबल मन्त्री, हलुल पूयवाव में ऐपीन अभी हाल ही में लाभदायक मनी-अ०। अण्डकोष के उपर के भाग को पाया गया। श्राधे श्राउंस पेपीन घोल (११) टटोलने पर उसमें एक रस्सी या डोरी जैसी में ५ ग्रेन सोडा बारकाई मिला लेने से यह ौर | चीज़ मालूम होगी। इस-डोरी को अण्डधारक उत्तम होता है।
रज्नु कहते हैं। यह वस्तुनः धमनी, शिरा, वात(१०) प्रैवेयी ग्रन्धि, दुग्ध प्रन्थि और कक्षीय तन्तु और शुक्र प्रणाली का एक संधात है जिस
For Private and Personal Use Only