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अगु रि:--, री
अङ्गुलिमानम्
अङ्ग रि:-री angurih,ri-सं० स्त्रो. (A । यन्त्र विशेष । अङ गुस्ताना अङ गुष्टाना । या०
jinger ) अंगुनी, हाथ पैर को अँगुली। सू० २५ अ०। (A fingin-protoctor) अ० टी० | देखो अंगुलिः ।
। अङगलिनलकम् guli-11alakam-सं० अङ्ग रीयःnguriyah-सं० पु, क्लो०, अंगु- क्ली० ( Pha.lalig.:) अङ गुल्यस्थि । रोयक । श्राड-टि बं० । अंगी।
अङ गुलिपञ्चकम् anguli-panchakamअरू anguru सिं० Carboil लकड़ीका संजी० (The fiva fi gar's) कराङ्गुलि
कोयला (Charcoal) ई० मे० मे । स० पञ्चक-हाथकी पांच उंगलियाँ जिनके नाम ये हैंफा० ।
श्रङ,गुला, तर्जनी, मध्यमा, अनामिका और अङ्गालः angulah-सं० पु. (1) A finger : कनिच्छिका।
अगली । ( २ ) Thuinb अङ्गा | अङगलिपवं anguli-parv va-सं० क्ली० ( ३ ) A finger's bre dth (n. अङ गुल्यस्थि, पर्व, पोर्वे, पोर, अङ गुलिग्रन्थि । also ), equal to 8 barley corns | उंगलियों की पोर, उँगली का गाठ वा जोड
लम्बाई की एक नाप । देखो-अंगुल । । ( Phalanx,phalanxes ) मालः angulah | सं० ० स्त्री०, १- _Phalanga (०२०), फैलेजीज़ Pha अलिः angulih (figer) पंगुली : langes (वय०) ई०
मैंगुरी, करपाद शाखा | अगुस्तका । पाँचों अंगु- बुर्जुमर (ए०व०), बसजिम् (व०व०)। लियों के नाम क्रमशः इस प्रकार हैं। यथा- ' सुलामा (ए०व०), सलामय्यात् (व०व०) अङ्गुष्ठ, प्रदेशिनी, मध्यमा, अनामिका, कनिष्ठा ..अ०। रा०नि० २० १८ । प्राङ्गुल-० [२] श्रङ गुट में दो और शेष अङ गुलियों में तीन गजकर्णिका वृह । (३) हातिशु हे बं० । तीन पर्व अर्थात् अस्थियाँ होती है। पहिली पंकि करिशुदाय भाग, हाथोशण्डो ( Heliotro. : के पोयें सब से लम्बे और मोटे होते हैं । दसरी pinm Indicum, Lim) है. च० : पंति के इनसे छोटे और तीसरी पंक्रि के सब से (४) वृद्धांगुष्ठ, अंगून ( Guatitue ) छोटे होते हैं । अगुष्ट में केवल दो ही पक्रिया (५) लम्बाई का एक नाप । अङ गल The , हैं, अङगुम का दूसरा पो शेप अछ.गुलियों के measure.
तीसरे पोर्वे के सदृश होता है। तीसरे पोर्वे पर प्रड लिकराटक: anguli-kantakah-सं०।।
नख लगे रहते हैं, इन तीसरे पोवी को शकल go A finger nail (Ilelix
__ घोड़े के खुर जैसी होती है । अङ्गुष्ठ के पोर्वे शेष Pashura)
अगुलियों के पोव से मोटे होते हैं। ग्रह गलिका angulika-संस्रो० दे० अंगली। अङ्ग लिप्रसारणी पंशो nguliprasarani** at farm anguli-toranam-O poshi-,ino alto ( Extonsor of the
को ललाट में चन्दन प्रगति द्वारा श्रङ किन finger उंगलियां फैलाने वाली पेशी । अर्द्ध चन्द्राकार चिह्न विशेष, तिलक विशेष । अङ गुलिफला inguli-phali-सं० श्री. देखी अंगुलितोरण ।
A sort of pulse ( Pascolus भागलि angulitram-सं० हाथ की पांच | radiatus.) श्वेतनिष्पावः,सफेद सेम । श्वेत अंगुलियाँ जिनके नाम ये हैं :-अंगुष्ठ, सर्जनी ! शिम्-बं०। रा०नि०। मध्यमा, अनामिका, कनिष्ठा।
अङगु लिमानम् anguli-inānam-सं० क्ली० बङ गलिताणकम् anguli-tranakan- श्रङ गुलि से योजन पर्यन्तमान यथा । - यवः
सं.क्ली. अड गुलिवाणक यन्त्र, उ नाम का अङ्गुल । २५ श्रगुल = हाथ । ४ हाथ=
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