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अधार य) न रासानो
अजवाइ (य ) न खुरालाको
डायलूट अलकुहोल में अधिकतर लयशील होता है। यह धतरीनके समान नेत्र कनीनिका विस्ता
हायोसायमीन अनेक सोलेनेसीई पौधों यथाधतूर,विलाद्वाना और सम्भवतः इसके कुछ अन्य भेदों में धतूरीन के साथ मिला हुआ पाया जाता है । हानोसायमीन उन्हीं थ्यों में विश्लेषित किया जा सकता है जिनमें पेट्रोपीन । वियोजित होता है, यथा-ट्रोपीन और ट्रॉपिक । एसिड।
हायासीन (स्कोपोलेमीन) या विकृताकार : हायोसायमीन-अपने कनीनिक। प्रसारक नथा : अन्य गुणों में निकट को समानता रखते हैं। जल में उबालने से यह ट्रॅापिक एसिड तथा स्युडोट्रोचीम में दियोजित हो जाते हैं। (वैटस डि० ऑफ केमिस्टो, द्वि० संस्क० ११, ७४४)।
उनके अतिरिक पत्ते में हायोस्क्रीचीन ( HyOscripin), कोलीन ( cholin), फैटी : भाइल, लुत्राथ, अरुच्युमीन-(अंडे की सुफेदी) , और पांशुनत्रेन (पोटेशियम नाइट्रेट) २ प्रतिशत . तक होते हैं।
श्रीज में एक स्थिर या वसामय तैल २६ प्रतिशत, एक एम्पाइर युमैटिक तेल (Empy- ' reumatic oil ) जो विनाशक परिति ! विधिद्वारा प्राप्त होता है, और वार्नीक (Warneke ) के मतानुसार ४.५१ प्रनिशत भस्म . वर्तमान होती है।
प्रभाव-बोज-मादक, निद्राजनक (मद्कारी), वेदनामाराक, पाचक, संकोचक तथा कृमिघ्न है । ०५ तथा हायोसाइमीन-अबसादक, वेदना-शामक, श्राप निधारक, उत्तेजक
और नेत्र कनीनिका प्रसारक है। इनका उम्मस. कारी प्रभाव बिलाडोना की अपेक्षा मानर तथा निद्राजनक अधिकतर एवम् अधिक विश्वसनीय व शीघ्र और अफीम सरख ( माफिया) : ग्रोरल से उत्तम होता है।
औषध निर्माण-पत्र चूर्ण, मात्रा २॥ से । ५ रसी (५ से १० ग्रेन); ताजा स्वरस : ( दवा कर निकला हुआ एवं सुरक्षित रक्खा :
हुथा ), मात्रा-प्राधा से १ लाम; शुष्क पौधे द्वारा निर्मित टिचर, मात्रा-चौथाई से . ड्रामः ताजे पौधे का एक्सट्रैक्ट { सस्व), मात्रा-श्राधी से ॥ रमी (१ से ३ ग्रेन)। इनके द्वारा प्रस्तुत प्रस्तर (पास्टर ) एवम् तेल का वाह्य उपयोग होता है । अत्यधिक मात्रा में यह मदकारी विष है तथा इससे उन्मशता, मूर्धा एवं मृत्यु उपस्थित होती है । और इसकी क्रिया अति शीघ्र होती है।
सत्व निर्माण-विधि-खुरासानी अजवायन का पौधा जब फूलने फलमे लगे, तब मय पत्तियों के उसकी छोटी छोटी शाखाओं को लेकर पानी से भली भाँति धोकर स्वरस निकाल लें। शुद्धता आदि का विशेष ध्यान रखना श्रावस्यक है । स्त्ररस को छानकर अग्नि पर पकाएँ, जब खोलने लगे और बोलते हुए १० मिनट हो जाएँ तथा स्वरस के ऊपर मैल के मांग से, जैसे कि खौड़ को चाशनी करते समय प्रायः हुत्रा करते है, उठने लगें, तब स्वरसको उत्तार कर छामलें, और निधारने के लिए स्वरस को धीमी के प्यालों में भर कर १२ घंटे रक्खा रहने । तदनन्तर सावधानी से निधार कर फिल्टर करले अर्थात् (फिल्टर पेपर ) में छान लें और फिर पकाएँ। जय गाढ़ा होजाय अर्थात् अवलेह समान गोली बनाने लायक होजाय तो उतार लें। मात्रा३-३ या ४-४ रत्ती।
पारर्स कयधानी तरल सत्व-पूर्वक विधि से स्वरस को फिल्टर करके १० प्रतिशत के हिसाब से हली [ रेक्टीफाइड स्पिरिट ] मिला कर सशः निर्गत स्वरस का गर्म पानी मिलाकर वजन पूरा कर शीशी में भरकर उपयोग करें । मात्रा-३०बुद से ६०बुद तक २॥२॥ तो जल में मिलाकर सेवन कराएं। पारसीक यमानी के गुण धर्म ध प्रयोग
आयुर्वेदिक मतानुसार- खुरासानी अजवायन के गुण अजवायम के समान ही हैं, परन्तु विशेष करके यह पाचक, रुचिकारक, ग्राहक, मादक सथा भारी है ।
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