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अजवाइ (य)न खुरासाना
अजवाब (य)न खुरासानो
सहित कम्पन में कपकपी को रोकने तथा पारदीय पक्षाघात के लिए श्रौषध रूप से उपयोग में प्राता है । परन्तु उन प्रयोजन के लिए यह हायोसीन से किम कोटि का है ।
अनिद्वा ( इसीमिया), पागलपन (मेनिया), मधोमा द ( हि रियम ट्रीमेस ), साद्वांग कम्पन (पैरालिसिस ऐटेिस), दमा (ऐज़्मा), वातवेदना (न्युरेहिया) तथा कम्पन (कोरिया) में इसका उपयोग किया गया; किन्तु यह हायोसीन की अपेक्षा कम उपयोगी प्रतीत हुआ । (एलो० मे० मे० हिटला)
मानसिक विकार-व्योन्माद, असीम व्यग्रता, श्रम, शंका, सोत्तेज्य स्मृति ग्रंश तथा | अघयवस्थितता, अपस्मारोन्माद तथा पुरातन विस्मति रोगमें इसका व्यवहार होता है। पागल पन एवं तत्सम्बन्धी दशायों में बिना किसी कुप्रभावके क्लोरल की अपेक्षा निश्चित निद्रा उत्पन्न करता है। तांबोम्माद में इसके उपयोगकी उत्तम विधि त्वगन्तर अन्तः क्षेप है।
वात विकार--साङ्ग कम्पन में यह बह | काम करता है जो किसी और औषध ने कभी | नहीं किया अर्थात् अचेतना उत्पन्न किये बिना ही यह अंगचालन को चार घंटे तक रोक देता है।। जब सम्पृण ओषधियाँ असफल होजाती हैं उस समय यह वायु कम्पन को दीक करता है एवं उसी प्रकार यह पारदीय कम्पन. वृद्धावस्था अथवा निर्वलता जन्य कम्पन, रेशा (कोरिया) तथा थोषापस्मारीय प्रक्षेप को शमन करता है। युवा या बाल दोनों के तराज ( आक्षेप) की श्रवस्था में यह वेदना तथा प्रदाह को शमन करता है। वातवेदना में इसका उपयोग किया गया और सम्भवतः ज्ञान तन्तुओं की उत्तेजना कम होकर वेदना शाम्त होगई।
श्राक्षेप शमन-यह आक्षेपशामक है और | इस लिए प्राक्षेप युक्र कास, श्वास, हिकफ (हिचकी) आदि में इसका लाभदायी उपयोग होता है।
मूत्रविकार-यह मूत्रविरेचक है तथा एक गविन्यु (युरेटर ) तथा बस्तिस्य वेदमा एवम् ख़राश को शमन करता है। ...
निद्वाजनक-यह सार्वाधिक वेदनाशामक तथा निदाउ.नक औषध है और जब अफीम का उपयोग अनुचित होता है उस समय इसे देनेसे नींद श्रापाती है । इससे विवन्ध नहीं पैदा होता ।
औषध-निर्माण तथा मात्रा-हायोसायमीन ( स्फटिकवत् ).. से . प्रेम । हायोसायमीन (विकृत कार) से ग्रेन। नवीनोम्माद में से १ मेन की मात्रा में भली प्रकार हलका कर ( diluted ) तथा चतुरतापूर्वक उपयोग करना चाहिए। क्योंकि कुछ रोगियों में इसके बरदाश्त की शक्रि नहीं होती।
हायोसायमोनी सरुफ-१. से . ग्रेन स्वगन्तरीय-सामान्य माणा-या, प्रेन, अधिक से अधिक, और कम से कम, (० वी० एम०)
परीक्षित योग (१) एक्सट्रैक्टम् हायोसायमाई ३ ग्रेन, पल्विस कैम्फोरी २ ग्रेन, दोनों की गोली बना कर रात्रि में सोते समय ६ । कार्ज (सुज़ाक सम्बन्धी शिश्नोत्त जना ) में लाभदाक है।
(२) एक्सट्रैक्टम् हायोसायमाई २ ग्रेन, जिन्साई वेलेरीएनेट्स २ ग्रेन, , गोली बनाएँ
और ऐसी १-१ गाली दिन में २ बार दें । नर्व सिडेटिव ( वातावसादक) है।
(३) हायसीनी हाइडाप्रोमाइड) ग्रेन, पल्विस सैक्रिलैक्टस ( मिल्क शूगर) २ प्रेन | गोली बनाकर सोते समय दें। पैरेलिसिस एजि. टैन्स ( पक्षाघातीय कम्पन ) में गुणदायक है।
(४) सोडियाइ ब्रोमाइडाई १५ ग्रेन, सकाई हायोसाइमाई श्राधा दाम, सीरूपाई पेफेवरस १ ड्राम, एक्का डिस्टिलेटा १ पाउस तक.
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