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अङ्गविकारः
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अङ्गस्तूराबार्क
भाविकार: anguvikārah-सं० (A bo- | अङ्गसुप्तिः anga-suptih-सं० स्त्रो० (an. dily defect.) शारीरिक दोष ।
asthesia ) स्पशी ज्ञता, शरीर स्वाप, अविकृतिः anga-vikritih-सं० १.. (1) अंग का सुन अथवा जड़ हो जाना, अयसमता।
अपस्मार रोग, मृगी वा मिरगी रोग, मूसिंग गार असाइता-बं० । (apoplexy, an apoplectic fit.) : अङ्गसेनः anga-senah-सं० पु. अगस्तिद्रुम रा.नि. व. २० ( २ ) Change of अगस्तिया । बाकस गाछ-बं० । रत्ना० । bodily appearance; collapse. (agti grandiflora, Dese. ) गान्त्र-संकोच ।
अङ्गसंहतिः imgu-sanhatih सं० बी० अहावभ्रश: anga-vibhranshah-स० पु. (1)Compactness, symmetry. काय शैथिल्यरूप-बायुज रोग । भा०।
शारीर का गठात्र। अङ्गविक्षेपः anga-vikshepah-सं० पु. (२) Body शरीर (३) Strength
अङ्गहार, अङ्गचालन, अंग ( हाथ पाँव) फेंकना, of the body शरीर बल । (Spasm) वा. उ.२ . । (२) अस्तग छालangastura chhala-० ] Gesticulation. हाच भाव ।
अस्तुग त्वक् angasturitvak-हिं० प्रशूलम् angashilan-सं० क्ली. (Bo. .
अगस्तूग बार्क amgustures-bark-इं० dily pain) गाग्रतोद, गात्रशूल, शारीरिक
करीई काटेंक्स (Cusparrial cortex) वेदना । बै० श.
-ले. श्र अस्तूरा, पोस्त अंगस्तूरा-तिः । अङ्गशोथः angashothah सं० पु. (Su• :
कस्पेरिया बार्क ( Cusparin burk)-६० clling of the body) कायशोथ, शरीर . की सूजन ।
रपटेलोई अर्थात् नागर वर्ग । अशोषणम् anga-shoshanam-सं० को
(N. O. Rutacere ) अंग की शुष्कता ( रूक्षता), शरीर का सूखना । '
(ॉफीशल-official)
उत्पत्ति स्थान-दक्षिणी अमेरिकाके डणप्रदेश । वा० उ०३० मनशोषः anga-shoshtha-सं० प्र०
लक्षण---उपयुक्र औषधि कस्पेरिया फ़ेनिफ्यूजा वायुज रोग विशेष, गात्रीणता, देह का सूखना,
(Cusparia. Febrifuga ) वृक्ष की चय (Consumption)
सूखी हुई छाल है जो औषधि तुल्य प्रयोग में अहस angasa-सं०० पक्षी (A bird):
प्राती है। ये सपाट, वक्राकार या एक दूसरे पर प्रसङ्गम-anga-sangama-सं० क्ली. रति- !
लिपटे हुए टुकड़े हैं जो ६ . या इससे अधिक संयोग, संभोग, मैथुन, स्त्रीप्रसङ्ग ( Coition, : लम्बे, १ इञ्च चौड़े, - इन्च मोटे होते हैं।
Copulation) असदनन् anga-sadanain-सं. क्लो० । त्वचा का वायतल चिह्नयुक्र एवं पीनाभायुक
( Depression) शरीरावसाद, अंग की धूसरवर्ण का होता है, यह उपरी त्वचा सरलता शिथिलता, अवसमता, जड़ता। वा० नि०१२ पूर्वक भिन्न की जा सकती है और इसके अन्तः अ० ।
तलसे श्याम धूसरवर्ण की रेजिन ( राल ) जैसी प्रसादः anga-sādah-सं० पु. (Depr. ' तह निकल पाती है । भीतरी तल सूच्म धूसर
ession) अवसाद, अवसमता | हारा०।। वर्ण का होता है। यह छाल बहुधा परतदार भासुन्दरः anga-sundarah सं० प. श्रीर कोर होती है और इसको जहां से तोड़ें
1-(Cassia Tora) चक्रमर्द, दद्रुघ्न वृक्ष | वहीं से टूट जाती है। टूटा हुश्रा तल राखयुक्र बैंकबद-हिं० । दादमन-बं० । अम. (२) रप्टिगोचर होता है। गन्ध-अप्रिय । स्वाद(Aloe wood )अगर ।
तिक वा उष्ण ।
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