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कस्तूरबार्क
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परीक्षा - कुचिला वृक्ष की छाल स्वरूप प्रकृति में इस उपर्युक्र छाल के समान होती है । इस कारण इसमें प्रायः उसका मिश्रण किया जाता है । इसकी एक साधारण परीक्षा यह है कि कुचिला वृक्ष की छाल के भीतरी तलपर शोराम्ल ( Nitric acid ) के लगानेसे उसमें सीन होने के कारण वर्ण उत्पन्न हो जाता है जिससे इसकी ठीक परीश हो सकती है ।
रसायनिक सङ्गठन - इसमें ये निम्न चार अल्कलाइड्स [ चारीय सत्व ] होते हैं: यथा - (१) एक ति सत्व कस्पेरीन, (२) मैलेपीन ( ३ ) गैलेपीडीन, ( ४ ) कस्पेरोडीन और एक सुगन्धित तेल |
संयाविरुद्ध (सम्मिलन )- खनिजाम्ल शोर धातु लवण |
प्रभाव - सुगन्धित एवं तिक बलप्रद और ज्वरन । अधिक परिमाण में उपयोग में लानेसे यह आमाशय एवं श्राँतों में प्रदाह उत्पन्न करता है । यूरुप में इसको कैलम्बा के सदरा क्षुधावर्द्धन हेतु अजीर्ण तथा निर्बलता में बरतते हैं। परन्तु इसमें ज्वरम प्रभाव होने के कारण अमेरिका में इसे विषम ज्वर और प्रवाहिका में उपयोग में लाते हैं ।
ऑफिशल योग [Official preparafiors. (i) इन्फ़्यूज़म् करुपेरी [Infusum | Cusparix. ], इन्फ्यूज़न श्रॉफ कस्पेरिया [Infusion of Cusparia ] - डॉ० ना० 1 गस्तूरा फांट हि० । ख़िसाँदहे अंगस्तुरा तो० ना० ।
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निर्माण विधि-कस्पेरिया बार्क का चूर्ण एक औस, खौलता हुआ परिसुत जल एक पाइंट, १५ मिनट तक भिगोकर छान लें। मात्रा-१ से २ फ्लुइड श्रौंस २८.४ से ५६.८ क्यु० से० )
( २ ) लाइकार कस्नेरी कन्सेस्ट्रटस ( Liguor Cusparie Concentratus ) -ले० | कन्सेण्ट्रेटेड सोल्युशन श्रौफ़ कस्पेरिया Concentrated Solution of Cusparia. इं० 1 अंगस्तूरा घन द्रव - हिं० | साइल अंगस्तुरा ग़लीज़-ति० ना० ।
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अङ्गारः
निर्माण विधि-कस्पेरिया बार्क का ४० नं० का चूर्ण १० औँस, अल्कुहॉल ( २० ) २५ फ्लुइड औंस या आवश्यकतानुसार, कस्पेरिया को ५ फ्लुइड श्रीस अल्कोहाल से तर कर के पलेटर में जमा दें और तीन दन तक पृथक् रख दें । पुनः अवशिष्ट अलकुहाल को १० बरावर भागों में विभाजित कर के १२-१२ घंटे के अन्तर से एक-एक भाग अल्कुहाल डालकर इसे पके लेट कर लें, यहाँ तक कि एक पाईंद द्रव प्राप्त हो जाए ।
मात्रा - श्रधे से १ फ्लुइड ड्राम (१.८ से ३.३६ क्यु० से० ।
परीक्षित-प्रयोग
( १ ) टिङ्कचूरा करुपेरीई 1⁄2 फ्लु० डा०, टिङ्कचूरा कैप्सिसाई बूंद ( मिनिम ), सोडियाई वाइका १५ मेन, इन्फ्युजम रीहाई 1⁄2 औंस पर्यन्त ऐसी एक-एक मात्रा श्रौषध दिन में ३ बार दें। गुण-एटोनिक डिस्पेप्सिया ( श्रामाशयिक निर्बलता जन्य श्रजीर्ण में लाभजनक है। ( २ ) टिकच्युरा प्रारन्शियाई ३० मिनिम, स्पिरिट एमोनिया ऐरोमैटिक १५ मिनिम, सिरुपस जिञ्जिबेरिस ३० मिनिम, इन्फ्युज्म् कस्पेरीई १ यस पर्यन्त, ऐसी १-१ मात्रा औषधि दिन में तीन बार दें । बल्य ( टानिक ) है । अङ्गहर्षः anga harshah. -सं० पु ं० ( Horripilation.) रोमाञ्च, रोमहर्ष, रोंगटे खड़े होना । बा० नि० ३ श्र० ।
श्रृङ्गहारः anga-hárah. -सं० पु० अंगचालन, विशेष | (spasm.) । ( २ ) gesti culation, a dance. नृत्य | श्रंगहीनः anga-hinah. सं० त्रिo (Having some defective limb.) अंगरहित, विकलांग, जैसे काणादि ( काना प्रभृति ) । ( २ )crippled लुंरंग | श्रृङ्गाकर_angákara. - ते० धारकरेला, किरार,
( Momordica Dioica, Roxb.) फा० ई० २ भा० ।
अङ्गारः angárah- सं० पु० :- (Firebrand or ombers ) अँगार, अँगरा, निधूम
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