________________
२६ मृत्यु के निकट पाने पर भी मृत्यु-भय से क्षुब्ध न होना।। ३० सग-त्याग, अर्थात् जिन कारणों से रागद्वेप उत्पन्न हो उन ____ कारणो का त्याग करना। ३१ किसी भी छोटे-बड़े दोप की निवृत्ति के लिए प्रायश्चित्त
करना। ३२ शरीर और कषायो को क्षीण करने के लिये सलेखना एव
सथारा करना।
समवायाङ्ग-सूत्र मे उपयुक्त वत्तीस योगो का निर्देश किया गया है। हम आगामी अध्यायो मे इन बत्तीस योगो की विस्तृत व्याख्या प्रस्तुत करने का प्रयास करेंगे।
[ योग एक चिन्तन