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है । सामाचारी के विना चारित्र नही और चारित्र के बिना सामाचारी नही । साधुत्व के सभी साधनो का समावेश समाचारी से हो जाता है । अनुशासन, विनय, तप, वैयावृत्य अनाशातना संयम इत्यादि सभी साधन सामाचारी के भीतरी अग है। जवकि संघ एवं गण सामाचारी के बाह्य अग है।
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[ योग ! एक चिन्तन