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प्रविष्ट कर लेता है, तब उस पर किसी बाहरी प्रहार का कोई प्रभाव नही पड़ता, वह सब तरह सुरक्षित रहता है । इसी प्रकार जो साधक किसी भी प्रापत्ति के आने पर सयम, तप और अहिंसा रूप धर्म का अवलम्व लेकर श्रात्म ग्रवस्थित हो जाता है, निश्चय ही सफलता उसके चरण चूमती है। जीवन का चरम लक्ष्य है - खो मे अनुद्विग्न रहना और सुखों मे निस्पृह रहना । इस लक्ष्य को प्राप्त करना ही साधना मार्ग की सबसे बड़ी सफलता है ।
योग एक चिन्तन ]
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