________________
से खेती की रक्षा होती है वैसे ही ब्रह्मचर्य की रक्षा भी बाड से होती है। खेती की रक्षा के लिये चारो ओर बाड लगाई जाती है, इसी प्रकार जव ब्रह्मचर्य की रक्षा के लिए दस प्रकार की वृत्तिया रूपी बाडे लगाई जाती है तभी गुप्ति हो सकती है। एक भी वाड दुर्वल होने से समाधि भग हो जाती है । समाधि भग होने से ब्रह्मचर्य समाप्त हो जाता है । ब्रह्मचर्य स्वय भगवान है-(तं वर्भ भगवत)।
जैसे भगवत् सिद्धि किसी विशेष साधना से ही हो सकती है, वैसे ही ब्रह्मचर्य की सिद्धि भी ज्ञानमार्ग और तपोमार्ग से हो सकती है । 'तवेमु वा उत्तमं बमचेर-सभी तपो मे ब्रह्मचर्य श्रेष्ठ तप है।' ब्रह्मचर्य के शिखर पर तपोवल और ज्ञानबल से ही पहुचा जा सकता है। इनके बिना जीवन में ब्रह्मचर्य भगवान का अवतरण और अवस्थान नहीं हो सकता है। ब्रह्मचर्य की माधना करने का अधिकार स्त्री और पुरुष दोनो को है। स्त्री के लिए स्त्री सजातीय, है और पुरुप विजातीय है। पुरुप के लिए पुरुष सजातीय है। ब्रह्मचर्य की दस बाडे हैं। सभी की सभी वाडे सुदृढ होनी चाहिये तभी ब्रह्मचर्य भगवान की आराधना सफल हो सकती है। ब्रह्मचर्य की दस बाड़ें:
१ पहली बाड़-जिस स्थान मे या मकान मे पशु-नपु सक या विजातीय प्राणी रहते हो वहा ब्रह्मचारी या ब्रह्मचारिणी का ठहरना उसके ब्रह्मचर्य-व्रत के लिए हानिकारक होता है । यह सभी जानते हैं कि जहा विल्ली रहती है वहां सूपक के लिये ठहरना हानिकारक है।
२. दूसरी बाड़-ब्रह्मचारी विजातीयो की जाति, कूल, रूप, ५८ ]
[ योग एक चिन्तन