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हथियाने की कोशिश किये बिना नही रहते, गूदड़ियो मे ही लाल आदि रत्न सुरक्षित रह सकते हैं।
१०. दसवीं बाड़-ब्रह्मचारी काम-वासना के अनुकूल शब्द, रूप, रस, गध और स्पर्श का अनुभव करने की कभी भी कोशिश न करे, क्योंकि ये काम-गुण हैं । काम-गुण मानव को अपनी ओर नही खीचते, वल्कि मानव काम-गुणो को प्रासक्ति के साथ अपनी ओर खीचता है।
एक वाड के उल्लघन करने से भी अनेक विपत्तिया और अनेक तरह की हानिया हो सकती है, यदि अनेको का उल्लघन किया नाय तो शान्ति और समाधि कहा स्थिर रह सकती है ? तीन लोक की सपत्ति भी जिस की कीमत नही पा सकती, उसकी रक्षा की जवाबदारी साधक पर कितनी है ? यह निश्चय और ज्ञान का ही विषय है।' दशविध समाधि___ सम्यग् निवृत्ति और सम्यक् प्रवृत्ति ये दोनो समाधि के मुख्य अग है । अपूर्व आनन्द, परमशान्ति और सात्विक अवस्था मे मन का प्रवेश रूप जो समाधि है उसके दस कारण माने गए है, जैसे
१. प्राणातिपात-विरमण-जब मानव छोटी-बडी सभी प्रकार की हिंसा से निवृत्ति पाकर अनिमेय दृष्टि से अहिंसा भगवती के दर्शन करता है, तब मन समाधि का अनुभव करता है। हिंसा से निवृत्त होकर अहिंसा की ओर बढना भी समाधि है।
१ उत्तरा०प्र० १६॥ योग : एक चिन्तन]
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