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4486 +0000 बत्तीस योग 1600.0040406
उपर्युक्त पाच गाथाम्रो का सक्षिप्त अर्थ इस प्रकार है जैसे कि :१ शिप्य द्वारा गुरु के समक्ष अपने दोपो को निवेदन करना। २ शिष्य द्वारा आलोचित दोषों को किसी के समक्ष प्रकट न
करना। ३ आपत्ति के समय धर्म मे दृढता रखना। ४ बिना किसी सहायक के तप करना या केवल निर्जरा के उद्देश्य
से तप करना। ५ आगमो का अध्ययन और अध्यापन या सयम-पालन को रीति
सीखना। ६ शरीर की सार-संभाल नही करना । ७. अपनी तप. साधना को गुप्त रखना। ८. किसी के द्वारा दिये गए प्रलोभन मे न आना। ६ परीषह-कष्ट आदि सहन करने का अभ्यास करना। १० मन, वाणी और काया के व्यापारो मे एकरूपता रखना। ११ नुचि अर्थात् सत्य और सयम को अपनाना। १२. सम्यग्दर्शन की विद्धि के लिये प्रयास करना।
[,योग - एक चिन्तन