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अनौप
( ५२ )
मपड़रणौ
अनोप, (पम)-देखो 'अनुपम' ।
अन्हायतर-स्त्री० शीघ्रता। अन्न-० [सं०] १ अनाज, धान । २ भोजन खाना । ३ खाद्य | अन्हेरौ-वि० (स्त्री० अन्डेरी) अन्य दसरा। पदार्थ । ४ भात । ५ विष्णु। ६ सूर्य । ७ जल । ८ पृथ्वी।
अपंग-वि० [सं० अपांग] (स्त्री० अपंगा, अपंगी) १ अंगहीन । ६ देखो 'अन्य' । -कूट-पु० अन्न का पहाड़ । देखो 'अनकूट'।
२ लंगड़ा, लूला । ३ अशक्त, निर्बल । ४ असमर्थ, असहाय । -क्षेत्र, सत्र-पु० भूखों को भोजन देने का स्थान ।
अपंथ-पु० [सं० अपथ] १ कुपथ, कुमार्ग । २ बीहड़ रास्ता, ----जळ-० अन्न-जल । खाने-पीने का योग । -जी,
विकट मार्ग, ३ पथ का अभाव। जी, बाजी-पु० भोजन। -ड़-देखो 'अनड़' । ---था-देखो
अपंपर-देखो 'अपरंपार'। 'अन्यथा' । -दान-पु० अन्न का दान। -दाता-वि० पोषक, परिपागक, अन्न का दान देने वाला। -दास-पु०
अप-अव्य० [सं०] शब्दों के आगे लगकर विरुद्ध या उल्टा अर्थ भोजन-भट्ट, पटू । -पाणी-'अन्नजळ' । -पूरण
देने वाला उपसर्ग । सर्व० श्राप, अपने । -वि० बुरा, (रणा)-स्त्री० अन्न की अधिष्ठात्री देवी । काशीश्वरी,
अशुभ । -पु० [सं० अप्प्] पानी, जल । -अप्प, विश्वेश्वरी, वरवड़ी देवी का नाम । दुर्गा, पार्वती का
आप-क्रि०वि० अपने आप, स्वयमेव । -इणएक नाम । -प्रतग्या, प्रतिग्या-स्त्री० अन्न त्याग का
सर्व-अपना । - कंठ-पु० बालक । -क-पु. पानी । संकल्प । --प्रासन-पु० अन्न खिलाने का प्रथम संस्कार ।
--कज-क्रि०वि० अपने लिये । --करण-पु० दुराचार । -मयकोस-पु० त्वचा से वीर्य्य तक का समुदाय ।
अनुचित कार्य । -करता-वि० हानिकारक । अनिष्ट पंचकोशों में से प्रथम ।
कारक । पापी। -करम-पु० दुष्कर्म, कुकर्म । -काजीअन्नण-चन्नण-पु० यौ० चन्दन का ईधन ।
वि० स्वार्थी । -कार-पु० बुराई । हानि । क्षति । अनिष्ट । अन्नल, (ला)-देखो 'अनळ' ।
निगदर, अपमान । दुर्व्यवहार । -कारक कारी-वि० अन्नाद-देखो 'अनादि'।
दुष्कर्मी । नीच । विरोधी । अनिष्ट कारक । द्वेषी । अन्नाहत-देखो 'अनाहत'।
--कीरत, कीरति, कीरती-स्त्री० अपयश । बदनामी। अनिबंध-देखो 'अनमंद' ।
निदा । हंसी। —पक्ख-पक्ष रहित । असहाय । पंख रहित । अन्न क-देखो 'अनेक'।
---ऋति-स्त्री० निरादर । अपमान । हानि बुराई । अन्य-वि० मं०] १ दूसरा । भिन्न, २ विचित्र । ३ पगया,
अपकार । --घन-पु. शरीर, देह । ---घातक, घातीक-वि० गैर । ४ अतिरिक्त । ५ नया । ६ अधिक ।-क्रीत-वि०
हत्यारा, हिसक, प्रात्मघातक । —घात-स्त्री० आत्महत्या । दूसरों का खरीदा हुअा। -पुरुस-पु० सर्वनाम का तीसरा
हिमा, हत्या । धोखा । --चय-पु० नाश, संहार । भेद । दुगग व्यक्ति।
--चाल-स्त्री० बुरी चाल । खोटाई । --चित-वि० पूज्य । अन्यत्र-कि वि० [सं०] १ दूसरी जगह पर । २ कहीं और ।
-छंद-वि० कुमार्गगामी । -जय-स्त्री० पराजय । अन्यथा-क्रि० वि० [सं०] १ नहीं तो । २ प्रकारान्तर से ।
---जस-पु. अपयश । -जोग-पु० बुरा योग, कुसमय, अन्याई, (यो)-वि० [सं० अन्यायी] १ अन्याय व अत्याचार
अशुभयोग । -जोर-पु० सामर्थ्य । --जोरो-वि० करने वाला । २ पातताई। ३ पक्षपात करने वाला।
निरंकुश । -तंत्र-पु. एक प्रकार का वात रोग । अन्याय, (ब)-पु० [सं०] १ न्याय का अभाव । २ अत्याचार,
-तर-वि० नीच, पतित । कृतघ्न । -स्त्री० न जोती जुल्म । ३ नीति विरुद्ध आचरण ।
हुई भूमि । -ताई-स्त्री० निर्लज्जता । नीचता। अन्योक्ति-स्त्री० [सं०] १ एक प्रकार का अर्थालंकार ।
-तानक-पु० गर्भपात से होने वाला रोग । -ताप-पु० २ अप्रत्यक्ष कथन ।
सूर्य । -वि० नीच । -दत, दत्त-वि० अपना दिया। अन्योन्य -क्रि०वि० [सं०] आपस में, परस्पर । ---प्रास्रय पु०
धांत, ध्यांत-पु० चन्द्रमा । -ध्वंस-पु० अधःपतन । परस्पर पाथित होने की दशा या भाव । सापेक्ष ज्ञान ।
नाश । अप्रतिष्ठा । -नाम-पु० अपकीति । शिकायत । एक अर्थालंकार ।
अपक्षपात-पु० [सं०] १ पक्षपात का अभाव । तटस्थ नीति । अन्वय-पु० [सं०] १ परस्पर संबंध । २ संयोग, मेल । ३ कार्य। २ न्याय । ३ न्याय पूर्ण निर्णय। कारण संबंध । ४ वंश।
अपखी-वि० जिसका कोई पक्षधर न हो, अमहाय । अन्वेसक-वि० सं० अन्वेषक १ शोधार्थी, गवेषक । २ खोज अपगा-देखो 'पापगा'। करने वाला।
अपगौ-वि० (स्त्री० अपगी) १ अविश्वासी । २ देखो 'अपंग' । अन्वेसरण-पु० [सं० अन्वेपण] अनुसंधान, खोज, शोध । तलाश। अपडणौ, (बौ)-क्रि० [सं० आपल] १ पकड़ना । २ रोकना,
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