________________ MEGA-CHAPTER-1 षड्द्रव्य-पंचास्तिकाय वर्णन The Six Substances (dravya) including the Five-with-Bodily-existence (pancastikaya) * मंगलाचरण और प्रतिज्ञावाक्य * इंदसदवंदियाणं तिहुअणहिदमधुरविसदवकाणं / अंतातीदगुणाणं णमो जिणाणं जिदभवाणं // 1 // इन्द्रशतवन्दितेभ्यस्त्रिभुवनहितमधुरविशदवाक्येभ्यः / अन्तातीतगुणेभ्यो नमो जिनेभ्यो जितभवेभ्यः // 1 // अन्वयार्थ - [इन्द्रशतवन्दितेभ्यः ] जो सौ इन्द्रों से वन्दित हैं, [त्रिभुवन-हितमधुरविशदवाक्येभ्यः] तीन लोक को हितकर, मधुर एवं विशद (निर्मल, स्पष्ट) जिनकी वाणी है, [अंतातीत-गुणेभ्यः] अन्त से अतीत (रहित) अर्थात् अनन्त गुण जिन में हैं और [जितभवेभ्यः ] जिन्होंने भव (संसार) पर विजय प्राप्त की है, ऐसे [जिनेभ्यः ] जिनों को [ नमः ] नमस्कार हो। INVOCATION Obeisance to all the 'Jina' (the Arhat, the Victors, the Supreme Lords) who are worshipped by one hundred Indra (lords), whose Words are beneficial (hitakari) for the three worlds, pleasing and unambiguous, who are . . . .. .. . . . . . . . . . . . . .