________________ Verse 150-151 मोक्ष पदार्थ The Liberation (moksa) द्रव्यकर्ममोक्ष का हेतुभूत परम-संवर-रूप भावमोक्ष का स्वरूप - With no fresh bondage of material-karmas, the soul attains psychic-liberation (bhava-moksa) - हेदुमभावे णियमा जायदि णाणिस्स आसवणिरोधो / आसवभावेण विणा जायदि कम्मस्स दु णिरोधो // 150 // कम्मस्साभावेण य सव्वण्हू सव्वलोगदरिसी य / पावदि इंदियरहिदं अव्वाबाहं सुहमणतं // 151 // हेत्वभावे नियमाज्जायते ज्ञानिनः आस्रवनिरोधः / आस्रवभावेन विना जायते कर्मणस्तु निरोधः // 150 // कर्मणामभावेन च सर्वज्ञः सर्वलोकदर्शी च / प्राप्नोतीन्द्रियरहितमव्याबाधं सुखमनन्तम् // 151 // अन्वयार्थ - [हेत्वभावे] (मोह-राग-द्वेषरूप) हेतु का अभाव होने से [ ज्ञानिनः ] ज्ञानी को [ नियमात् ] नियम से [ आस्रवनिरोधः जायते ] आस्रव का निरोध होता है [ तु] और [ आस्वभावेन विना] आस्रव-भाव के अभाव में [कर्मणः निरोधः जायते ] कर्म का निरोध होता है। [च] और [कर्मणाम् अभावेन ] कर्मों का अभाव होने से वह [ सर्वज्ञः सर्वलोकदर्शी च] सर्वज्ञ तथा सर्वलोकदर्शी होता हुआ [इन्द्रियरहितम्] इन्द्रियरहित, [अव्याबाधम् ] अव्याबाध, [अनन्तम् सुखम् प्राप्नोति ] अनन्त सुख को प्राप्त करता है। In the absence of the cause (hetu) of bondage (bandha) [delusion (moha), attachment (raga) and aversion . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . 285