Book Title: Jain Shasan 1991 1992 Book 04 Ank 01 to 48
Author(s): Premchand Meghji Gudhka, Hemendrakumar Mansukhlal Shah, Sureshchandra Kirchand Sheth, Panachand Pada
Publisher: Mahavir Shasan Prkashan Mandir
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(आंसू भरी हैं) ... .... 8 आंसू की धारा ये नैना बहाये, वे यादें तुम्हारी भूले ना भुलाये है सच्चाई की राह का राम राही, जैन शासन का वीर सिपाही,
ना ही झुके चाहे दुनिया झुकाथे...वे यादें. ६ बाल दीक्षा की तूफानी हवायें, आंधी तूफानों से जो टकराये,
बलिदान बकरे का बन्द कराये...वे यादें. । काँटों में उलझा था जीवन तुम्हारा, कमल जैसा कोमल था मुखडा तुम्हारा।
आशीष तुमने सभी को लुटाये...वे यादें. 'संसार भंडो' का नाद जगाया, सयम की दी थी शीतल छाया,
- अगणित शिष्यों की ऑखीं के तारे...वे यादें. । लडते रहे वे सिद्धान्तों की खातिर, चला जा रहा था अकेला मुसाफिर,
इरादे अटल थे, न कोई डिगाये...वे यादें. फिर से कोई 'राम' आगे जो आये, जो सोते हुओं को आके जगाये,
कोई सूरमा सारे जग · को हिलाये,....वे यादें. श्रावण की आयी वो चौदश, काली, था फूलों से बिछड़ा बगिया का माली
.. धरती पे. छायी . हैं गम की घटायें...वे यादें. । रुंधी ये वाणी क्या. गीत सुनाये, टूटा साज गम की धुनें बजायें,
श्रद्धा-सुमन आज तुमको. चढायें...वे यादें. ६ छोड़ गये हो वे यादें तुम्हारी, जमाना ये देगा मिसालें तुम्हारी.
वाणी की .. धारा आजीवन बहाये...वे यादें. भक्तजनों के राम दुलारे, ओ गच्छाधिपति हम तुमको पुकारे, दिल की व्यथा ये किसे हम सुनायें...वे यादें:
-पू. साध्वी संस्कारनिधिश्रीजी म. .. ८. ... .. ... .. .. (मद्रास.)
amaan