Book Title: Agam Sagar Kosh Part 04
Author(s): Deepratnasagar, Dipratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम-सागर-कोषः (भागः-४)
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देवविमानविशेषः। सम० ३५ श्मसानविशेषः। अन्त० धणगुप्त गुरवः। उत्त.१६५ महागिर्याचार्यः ११। महाकालः-पञ्चदशसु परमाधार्मिकेषुः अष्टमः। । मिथिलानगर्यां लक्ष्मीगृहे आचार्यः। आव० ३१६) उत्त० ६१४। महाकालः-अष्टमपरमाधार्मिकः। आव० | महागिह- महपाहन्ने बहुत्ते वा, महंतं गिहं महागिह, ६५०। महाकालः- केयूपाभिधपातालकलशे देवविशेषः। बहुसु वा उच्चारएस महागिह। निशी० २६५अ। जीवा०३०६| अवन्त्यां महाकालश्मशानः। व्यव. १४९| | महागुल्मिकं- जातिभेदः। जीवा० १३६| महाकालः-लोकीकैः परिगृहितं चैत्यम्। आव०६७० महागोव- भगवन्तैव षट्कायरक्षणार्थं यतः प्रयत्नं निरयावल्यां प्रथमवर्गे तृतीयमध्ययनम्। निर० ३। चक्रुस्तेन महागोवः प्रोच्यन्ते। आव० ३८३। श्रमणस्य महाकालः-अष्टमपरमाधार्मिकः। सूत्र. १२४
भगवतो महा-वीरस्य गोशालककृतोपमा, गोपोअष्टाशितीमहाग्रह एकोनषष्ठीतममहाग्रहः। स्था० ७९| | आरक्षकः स चेतरगोरपिशाचेन्द्रः। स्था० ८५। वायकुमारस्य द्वितीयो क्षकेभ्योऽतिविशिष्टत्वान्महानिति महागोपः। उपा० लोगपालः। स्था० १९८1 त्रिपल्योपमस्थितिको देवः। ४५ स्था० २२६। चक्रवर्तेः सत्त-मनिधिः। स्था० ४४८१ महाघोष- ओदीच्येन्द्रस्य लोकपालः। स्था० २०५१ महाकालः-उत्तरनिकाये प्रथमो व्यन्तरेन्द्रः। भग. महाघोष-देवविमानविशेषः। सम० १२ लान्तककल्पे १५७। महाकालः-पिशाचेन्द्रः। जीवा. १७४। महाकालः- देवविमानविशेषः। सम०१७। महाघोषःतमतमापृथिव्यां द्वितीयो महानिरकः। प्रज्ञा० ८३। स्तनितकुमाराणा-मिन्द्रः। प्रज्ञा० ९४| महाघोषः-नरके महाकालः-अष्टशीतौ सप्तपञ्चाशत्तमो महाग्रहः। पञ्चदशमपरमाधा-र्मिकः। आव०६५० महाघोषःजम्बू. ५३५
पञ्चदशमपरमाधार्मिकः। उत्त०६१४ महाघोषःमहाकाल- पिशाचभेदविशेषः। प्रज्ञा० ७०
उत्तरनिकाये दशम इन्द्रः। जीवा० १७१। महाघोषःमहाकालप्पभ- कालवालस्योत्पातपर्वतः। स्था० ४८२ स्तनितकुमारेन्द्रः। स्था० ८५। महाघोषःमहाकलिंदा-धर्मकथायाः षष्ठमवर्गे अग्रमहिषी। ज्ञाता० अतीतोत्सर्पिण्यां सप्तम कलकरः। स्था० ३९८१ २५२
जम्बूद्वीपे भरतक्षेत्रेऽतीतायामत्सर्पिण्यां सप्तम महाकालि- महाकालनिधिः। जम्ब० २५८।
कुलकरः। सम० १५०| जम्बूद्वीपे ऐरवतवर्षे महाकाली- अन्तकृद्दशानां अष्टमवर्गस्य
आगमिण्यामुत्सर्पिण्यां द्वादशमस्तीर्थकरः। सम० तृतीयमध्ययनम्। अन्त०२५ आर्याविशेषः। अन्त० १५४। महाघोषः-उत्तरनिकाये दशम इन्द्रः। भग० १५७) ૨૮
महाघोसं-धर्मघोषगाथापति नगरम्। विपा. ९५ महाकिण्हा- नदीविशेषः। स्था०४७७।
महाघोषः-पञ्चदशमपरमाधार्मिकः। सूत्र. १२४। सम. महाकुमुद-देवविमानविशेषः। सम० ३३
२९ महाकुम्भीय- महाकुम्भी-महत्यूखा। प्रश्न०१४। महाघोसा- महाघोषा-इशानेन्द्रस्य घण्टा। जम्बू. ४०५ महाकुष्ठ- द्वितीयं क्षुद्रकुष्ठम्। प्रश्न० १६१।
महाचंद- जम्ब्वैरवते आगाम्यष्टम तीर्थकृतः। सम० एकादशक्षुद्रकुष्टो द्वितीयः। आचा० २३५।
१५४ महागंगा-सप्तगंगा। भग० ४७४।
महाजण- महाजनः। दशवै० १०५ महागरा- महाकराः-ज्ञानादिभावरत्नापेक्षया आचार्यः। महाजणवाण-सिंघाडगठ्ठाणं णीतो चउक्कं वा आरामाउ दशवै.२४६।
वा गामणीतो एतेषु महाजणट्ठाणेस्। निशी० १३४। महागिरि- महागिरिः-योगसंग्रहेनिश्रितोपधानदृष्टान्ते महाजणणाओ- महाजनज्ञातः-महानिनादः। आव० ६३८५
आर्य-स्थूलभद्रस्य जयेष्ठः शिष्यः, उपाध्यायः। आव. महाजस- महद् यशः-ख्यातिर्येषां ते महायशाः। सूर्य ६६८ एलापत्यगोत्रवान आचार्यः। नन्दी०४९।
२८६। स्था० ४३०। जम्बुदद्वीपे ऐरवतवर्षे महागिरी- महागिरिः-मिथिलायामाचार्यः। उत्त. १६३। आगमिण्यामुत्सर्पिण्यां चतुर्थः तीर्थकरः। सम० १५४|
मुनि दीपरत्नसागरजी रचित
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"आगम-सागर-कोषः" [४]

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