Book Title: Agam Sagar Kosh Part 04
Author(s): Deepratnasagar, Dipratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम-सागर-कोषः (भागः-४)
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लिच्च-कोमलानि नमशीलं च। जम्बू. ५५
लुक्क- छन्नः, स्थिरः। निशी० ७३ आ। लुञ्चितः। पिण्ड. लिच्छारिए- लिप्तम्। निशी० ७२ आ।
७६| लिच्छारियं-लिप्तम्। आव० ७४२१
लुक्ख- रूक्षः-स्नेहवर्जितम्। आव० ७२६। रूक्षः-काकादि लित-नम्रशीलम्। नमनशीलम्। जीवा. २१० दिग्धम्। शब्दवत्। स्था० ४७१। रूक्षः-घूसरवर्णम्। बुभुक्षावशेन
सम० १३६। सर्वतो गोमयादिनैव लिप्तम्। भग. २७४। रूक्षीभूतत्वम्। भग० १२५। रूक्खो-वृक्षः। उत्त० १३८ लिप्तं-उपदिग्धम्। प्रज्ञा० ८० लिप्तं-नवम एषणादोषः। रूक्षः-पुद्गलद्रव्याणामेवाबन्धनिबन्धनं भस्माद्याधारो पिण्ड० १४७
रूक्षः। अनुयो० ११० रूक्षः-स्नेहकार्याकरणात्। ज्ञाता० लित्ताणं- सर्वतः। स्था० १२४।
१६५ लिन्द्र- गोवराक्ष(ख्य)रसविशेषकलितत्वात्। जीवा० ३०३। लुक्खकच्छू- रूक्षकच्छुः-खर्जूविशेषः। उत्त० ३०१। लिपि- अष्टादशस्थानोक्ता। जम्बू. १३७
लक्खबंधणपरिणाम- रूक्षस्य सतो बन्धनपरिणामःलिप्तं-| आचा० ३४५
रूक्षब-न्धनपरिणामः। प्रज्ञा० २८८ लिप्पत्-। ओघ. १३९।
लक्खया- रूक्षता। भग० ३०६। लिप्पासण- लिप्पासनं-मषीभाजनम्। जीवा. २३७५ लुहंतो- लुठन्-गच्छन्। आव० ३५१| लिप्सा-लब्धुमिच्छा। आव० ८२५१
लुद्ध- लुब्धः। ओघ० १५०| लोध्र-गन्धद्रव्यम्। दशवै. २०६। लिम्ब- लिम्बं कोमलं नमनशीलं च। राज० ३७
आचा० ३६३। लिवी-लिपिः-पुस्तकादावक्षरविन्यासः। भग० ५। दोहिं। | लद्धदिहता- | निशी. २०२ अ।
मिलिउ उप्पाइया अधवा मिडमाइ। निशी. २५२ अ। लद्धणंद- लुब्धनन्दः वणिग्विशेषः। लोभे उदाहरणम्। लिसति-दर्शनीयत्वातिशयतः श्लिष्यति। जीवा. १९६। आव० ३९७। लुब्धनन्दः-लोभवशात् शूलायां भिन्नः। लिसिस्सामो- श्लेषयिष्यामः। सूत्र.४१३।
आव० ३९७ लिसी- ऋषयः। बृह. २८३ अ।
लुद्धणंदी- लोभे इमं उहाहरणम्। निशी. ३५२ आ। लिहइ-लेढि। विशे०६३५
लुद्धनंद- लुब्धनन्दः-पञ्चमाणुव्रते उदाहरणम्। आव० लोनता-निरोभावः। विशे०१०६२
८२६| लीलट्ठियसालभंजिया- लीलास्थितशालभजिका- लुद्धय- लुब्धकः-व्याधः। प्रश्न. १३॥ लीलास्थि-तपत्रिका। जीवा० २०४, ३०६।
लुप्ततेजा- अर्धीभूततेजाः। भग० ६८४। लीला- ललिताङ्गनिवेशरूपा। जम्बू०५१।
लुप्पंत- लुप्यमानः-छियमानः। उत्त० २६४। ललिताङ्गनिवे-शरूपा। जीवा० २०६।
लुप्पई- लुप्यत-कर्भणा क्लेशमनुभवति। आचा० ३०५। लीलाकट्ठय-लीलाकाष्ठम्। आव. २२४।
लुप्यते- लुप्यते-दारिद्र्यादिभिर्बाघ्यते। उत्त० २६२। लीलाकम्बिका-लीलावेतः। लीलायष्टिः। नन्दी. १४८ | लुब्धक- वागुरिकः। सूत्र० ३२१।। लुंक-| निशी. १५७ आ।
लुब्धकदृष्टान्तभावितः- श्रमणोपासकभेदः। भग० २२७। लंग-भेजकम्। भग० ८८
लुभ्यति- प्राणिनि स्निह्यति संश्लिष्यतीति वा। प्रश्न. लुग्गंसि- रुग्ने जीर्णतां गतः। ज्ञाता० ११५॥ लुग्ग- लुग्नः जलसेचना करणतः। व्यव० ११५अ। लुलिय- लुलितं-तीरभूवि लुठितम्। प्रश्न० ५०| लुंचिंसु- अलुञ्चिषुः। आचा० ३१२।
| ललिया- ललिया-मदवशेन चर्णिता, स्खलत्पदेत्यर्थः लुपणा- लोपना-छेदनं प्राणानाम्।
उपा० ५०| ललिता-अतिक्रान्तप्राया। ज्ञाता० ९७। प्राणवधस्यैकोनत्रिंशत्तमः। पर्यायः। प्रश्न०६। लस्सेल्लय-शाकम्। निशी० ४०आ। लूपणा धणाणं-धनानां लोपनां-परद्रव्याणां अवच्छेदनं | लूडित- लुण्डितः। आव० ३६५। अध-र्मदवारस्य षोडशमं ना। प्रश्न०४३।
| लूणावेइ- लावयति। आव० २१२१
اوا
मुनि दीपरत्नसागरजी रचित
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"आगम-सागर-कोषः" [४]

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