Book Title: Agam Sagar Kosh Part 04
Author(s): Deepratnasagar, Dipratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 127
________________ [Type text] आगम-सागर-कोषः (भागः-४) [Type text] प्रज्ञा०४४। राजगृह-नगरविशेषः। भग० १०९। राजगह- २१ राजगह-नगरविशेषः। आव० ३१४ राजगह-यत्र स्कन्द-कचरित्रेनगरम्। भग० ११२, १२६। राजगृहं- मौर्यवंशप्रसूतबलभद्रराजस्यनगरी। आव० ३१५ उत्त. नगरम्। भग० १३९। राजगृह-ईशानेन्द्रस्य १६२ राजगृह-नगरम्। आव० ३५२, ३६७। वैक्रियरूपकरणतेजोले-श्यासाम्र्योपदर्शने नगरम्। धनसार्थवाहवास्तव्यं स्थानम्। आव० ३७०। रायगृहंभग० १५ राजगृहं-असुरक्-माराणां समवसण-स्थानम्। ज्ञात०११३। राजगृहं-। उत्त० २८८, गतिशक्तिप्ररूपणायां नगरम्। भग० १६९। राजगृहं- ३७९, ३८०| राजगृह-भावोपायोदाहरणे नगरम्। दशवै. चमरोत्पातक्रियानिरूपणे नगरम्। भग० १८१। राजगृहं- ४११ राजगृह-मायापिण्डदृष्टान्ते नगरम्। पिण्ड० १३३, योनिसङ्ग्रहवक्तव्यतायां नगरम्। भग० ३०३। राजगृह- १३७। राजगृह-नगरम्। महावीरसमवसरणस्थानम्। आयुष्कादिनिरूपणे नगरम्। भग० ३०४। राजगृहं- भग० १३४। राजगृहं-क्षत्रीयनगरम्। प्रज्ञा०५५ नगरं परमत-निरासे नगरम्। भग० ३२३। राजगृहं- इन्द्राणां राजगृहाख्यं यत्र श्रेणिकराजा। निर०१। लोकपा-लिपालनिरूपणे नगरम्। भग० १९४। राजगृहं- श्रेणिकराजधानी। उपा०४८ श्रेणिकराजधानी। ज्ञाता० असुरकुमा-राणां देववक्तव्यतायां नगरम्। भग० २०० १११ द्रौपद्याः स्वयंवरे सप्तमदूत-प्रेश्यस्थानम्। राजगृहं-दिक्षु वात-प्रतिपादने नगरम्। भग० २११। ज्ञाता०२०८। ज्ञाता०२५३| धनसार्थवाह-वास्तव्यं राजगृह-संसारिणः शाश्वतादिस्वरूपनिरूपणे नगरम्। नगरम्। ज्ञाता० २३५। यत्र चतुष्पुत्रको धन्नो श्रेष्ठिः । भग० ८९। राजगृहं श्रेणि-कराजधानी। दशवै० १०२।। व्यव. ३६। यत्र श्रेणिकराजा। व्यव० १९ अ। राजगृहं। दशवै० १० धन्यसा-र्थवाहवास्त-व्या नगरी। सुलसावास्तव्यं नगरम्। व्यव० १८| राजगृह-अपरनाम ज्ञाता०७९। गौतमस्वामिवक्तव्य-तायां नगरम्। क्षितिप्रतिष्ठितं चणकपुरं वृषभपुरं कुशाग्रपुरं च। आव. ज्ञाता०१७०, १७१। यत्र गुणशीलचैत्यम्। श्रेणिकराज- ६७० नगरीविशेषः। निशी. १५ श्रेणि-कराजनगरी। धानी। ज्ञाता० १७८१ नंदमणिकारवास्तव्य-नगरम्। बृह० ३१ अ। वीरसमवसर-णस्थानम्। बृह० ४६। ज्ञाता० १७८। राजगृहं-संवरोदाहरणे नगरम्। आव० रोहिणिधन्यसार्थवाहनगरी। ज्ञाता० ११५१ ७१३। राजगृह- अप्रमादविषये जरासन्धराजधानी। | रायग्गल- अष्टाशीतौ महाग्रहे षडशीतितमः। स्था० आव०७२१। राजगृहं-साधुजुगुप्साविषये नगरम्। आव० | रायणा- राज्ञा। आव० ३४३। उत्त. १४८, ३०२ ८१६। राजगृहं-परलोकफलविषये नगरम्। आव०८६३। रायणिओ- रात्निकः-रत्नाधिकः। बृह. १०० अ। राजगृहं-नगरम्। उत्त० ८९, १०४। राजगृहं-क्षितिप्रति- | रत्नाधिकः-पर्यायज्येष्ठः। ओघ० १५० ष्ठितस्यचतुर्थं नाम। उत्त० १०५। राजगृहं-अर्जुनमाला- | रायणित- रत्नानि भावतो ज्ञानादीनि तैर्व्यवहरति इति कारवास्तव्यं नगरम्। उत्त० ११२ राजगृहम्। उत्त० रात्निकः पर्यायज्येष्ठ इत्यर्थः। स्था० २४२। रात्निकः१५८१ राजगृहम्-अर्थसिद्धदृष्टान्ते नगरम्। आव० ४१३। | रत्नाधिकोऽनुभाषकः। व्यव० १७१ । राजगृहं-पारिणामिकीबुद्धिविषये नगरविशेषः। आव० | रायण्ण- राजन्यः-वयस्यः। आव० १२८। राजन्यः-अय४२८। राज-गृहं-द्रव्यव्युत्सर्गोदाहरणे नगरम्। आव० स्यः। बृह. १५२ । ४८७। राजगृह-शुद्धविषये वस्त्रदृष्टान्ते नगरम्। रायदारिए- राजामात्यमहत्तमादिभवनेषु मच्छद्भिर्यद् श्रेणिकराजधानी। आव० ५६२श राजगृह-संवेगोदाहरणे परिभुज्यते तद् राजद्वारिकाम्। बृह. १०४ अ। नगरम्। आव०७०९। राज-गृह-नगरविशेषः। रायदारिय- रायकुलं पविसंतो जं परिहेति तं रायदारियं। श्रेणिकराजधानी। आव० ९५। राजगृहं निशी. १६२। मनिसुव्रतस्वामिनः प्रथमपारणकस्थानम्। आव. १४६। | रायद्व-रायदविष्टं-राजा दविष्ट इति। आव० ६२६॥ राजगृह-नारायणपुरम्। आव० १६२। राजगृहं-मुनिसुव्रत- | रायधम्म- राजधर्मो-निग्रहानग्रहादिः। जम्बू. १६७। स्वामिजन्मभूमिः। आव० १६३। विश्वनन्दीवास्तव्यं । राजधर्मः-दुष्टेतरनिग्रहपरिपालनादिः। दशवै० २२ नगरम्। आव० १७२। राजगृहं-नगरम्। आव० १९९, २११, | रायन्न- राजन्यः तत्रैव वयस्यः। स्था० ११४॥ मुनि दीपरत्नसागरजी रचित [127] "आगम-सागर-कोषः" [४]

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