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नव पदार्थ
४३ ११. पहले संहनन के हाड़ अच्छे (मजबूत) और पहले संस्थान का आकार सुन्दर होता है। वे उत्तम हाड़ और आकार शुभ नाम कर्म के उदय से प्राप्त होते हैं।
१२. अच्छे-अच्छे, मनोनुकूल और उत्तम वर्ण जीव को शुभ नाम कर्म के उदय से ही प्राप्त होते हैं, जिन्हें जीव विविध प्रकार से भोगता है।
१३. अच्छी-अच्छी, मनोनुकूल और उत्तम गंध जीव को शुभ नाम कर्म के उदय से ही प्राप्त होती है, जिन्हें जीव विविध प्रकार से भोगता हैं।
१४. अच्छे-अच्छे, मनोनुकूल और उत्तम रस जीव को शुभ नाम कर्म के उदय से ही प्राप्त होते हैं, जिन्हें जीव विविध प्रकार से भोगता है।
१५. अच्छे-अच्छे, मनोनुकूल और उत्तम स्पर्श जीव को शुभ नाम कर्म के उदय से ही प्राप्त होते हैं, जिन्हें जीव विविध प्रकार से भोगता है।
१६. शुभ नाम कर्म के उदय से त्रस का दशक पुण्य रूप में उदय में आता है। मैं उसका अलग-अलग वर्णन करता हूं, सुज्ञ और चतुर लोग तत्त्व का निर्णय करें।
१७. 'वस शुभ नाम कर्म' के उदय से जीव त्रसावस्था को पाता है। बादर शुभ नाम कर्म के उदय से जीव बादर होता है।
१८. 'प्रत्येक शुभ नाम कर्म' के उदय से जीव प्रत्येक शरीरी होता है। ‘पर्याप्त शुभ नाम कर्म' से जीव पर्याप्त होता है।
१९. 'स्थिर शुभ नाम कर्म' के उदय से शरीर के अवयव दृढ़ होते हैं 'शुभ नाम कर्म' से नाभि से मस्तक तक के अवयव सुन्दर होते हैं।
२०. 'सौभाग्य शुभ नाम कर्म' से जीव सर्व लोक-प्रिय होता है, 'सुस्वर शुभ नाम कर्म' से जीव का कंठ सुस्वर और मधुर होता है।