Book Title: Acharya Bhikshu Tattva Sahitya 01
Author(s): Tulsi Ganadhipati, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Sukhlal Muni, Kirtikumar Muni, Shreechan
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 345
________________ अनुकम्पा री चौपई ३३५ ४९. कोई व्यक्ति वैद्य वृत्ति कर रोग मिटाता है और उन्हें मरने से बचाता है। यह उपकार भी लोगों के साथ करने से तत्संबंधी राग भाव आगे तक चलता जाता है। ५०. कह-कहकर कितनों का वर्णन करूं। संसार के अनेक उपकार हैं। ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप के बिना मोक्ष संबंधी एक भी उपकार नहीं है । ५१. जिनेश्वर देव ने संवर के बीस भेद बताए हैं, और निर्जरा के बारह भेद । ये बत्तीस भेद मोक्ष संबंधी उपकार के हैं । अन्य कोई भी मोक्ष का उपकार नहीं है। ५२. सम्यग् दृष्टि जीव संसार और मोक्ष के उपकार को पृथक्-पृथक् समझते हैं । परन्तु मिथ्यात्वी को उसकी सम्यग् समझ नहीं होती। इसलिए वह मोहकर्म के वश उल्टी खींचतान करता है। ५३. सं. १८५४, आश्विन शुक्ला द्वितीया, शुक्रवार के दिन संसार और मोक्ष के मार्ग की पहचान कराने के लिए खेरवा शहर में यह रचना की है।

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