Book Title: Acharya Bhikshu Tattva Sahitya 01
Author(s): Tulsi Ganadhipati, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Sukhlal Muni, Kirtikumar Muni, Shreechan
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text
________________
३३४
भिक्षु वाङ्मय खण्ड-१ ४९. कोइ वेंदगरों करे करे लोकां रो, रोग गमाय में जीवा वचावें।
ओं उपगार लोकां कीधां, आगेंलगों राग चलीयों जावें॥
५०. कहि कहि नें कितरों एक कहूं, संसार तणा उपगार अनेक।
ग्यांन दरसण चारित ने तप विना, मोख तणों उपगार नही छे एक॥
५१. संवर ना वीस भेद कह्या जिण,
निरजरा तणा भेद कह्या छे बार। में बतीसोंइ बोल उपगार मुगत रा,
___ओर मोख रों उपगार नही छे लिगार॥
५२. संसार में मोख तणा उपगार,
समदिष्टी हुवें ते न्यारा न्यारा जांणे। पिण मिथ्याती में खबर पड़े नही सूधी,
तिणसूं मोह कर्म वस उधी तांणे॥
५३. संसार में मुगत रो मारग ओळखावण,
जोड़ कीधी , खेरवा सहर मझारो। संवत अठारें वरस चोपनें,
आसोज सुदि बीज ने सुकरवारो॥

Page Navigation
1 ... 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364