Book Title: Acharya Bhikshu Tattva Sahitya 01
Author(s): Tulsi Ganadhipati, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Sukhlal Muni, Kirtikumar Muni, Shreechan
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 360
________________ ३५० भिक्षु वाङ्मय खण्ड-१ ६२. असंजती रा जीवणा मझे, धर्म नही अंसमात जी। वले दान देवें छे तेहनें, ते पिण सावध साख्यात जी॥ असंजती र जीवणा मझे, धर्म नही असमात ६३. दांन देवों में जीव वचायवों, ओं तो देवता में आसांन जी। यूं कीयां धर्म हुवें तो देवता, जाों पांचमी गति परधान जी॥ ६४. जीव वचावणो में सावध दांन ने, ओळखायो पुर सहर मझार जी। संवत अठारें वर्ष सतावनें, काति विद चोदस में सुक्रवार जी॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 358 359 360 361 362 363 364