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अनुकम्पा री चौपई
२४९ ९. जिनकी बुद्धि निर्मल है, वे न्यायपूर्वक सोचेंगे। भारीकर्मा जीव इसे सुनकर लड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं।
१०. ये सात दृष्टान्त प्रारंभ से चल रहे हैं। आगे इनका बहुत विस्तार है। भव्यजनों? अन्तर की आंख खोल कर भिन्न-भिन्न प्रकार से सुनें।
ढाल: ७
भव्यजनों। जिन धर्म को पहचानें। १. मूला खिलाने में मिश्र धर्म कहते हैं। उसके लिए यह गलत दृष्टान्त देते हैं कि मूला खाने का पाप लगा, परन्तु मूला खाने से जो जीव बचे, वह धर्म हुआ।
२. कहते हैं-कुआं, बावड़ी खुदाने में जो हिंसा होती है, वह पाप है, उससे कर्म बंध हुआ। परन्तु लोग पानी पीकर सकुशल रहें, उन्हें साता हुई, उसका धर्म
हुआ।
३. इस प्रकार मिश्र धर्म की प्ररूपणा करते हुए जरा भी संकोच नहीं करते, बल्कि बकवास करते हैं। इस श्रद्धा (मान्यता) के विषय में पूछने पर उत्तर नहीं आता तब लोगों को भड़काते हैं।
४. अब सात दृष्टान्तों की स्थापना की जाती है। उनका विस्तृत वर्णन सुनें। बुद्धिमानों! पक्षपात को छोड़ कर हृदय से निर्णय करना चाहिए।
५. किसी ने सौ मनुष्यों को मूला, गाजर, जमीकंद खिलाकर मरने से बचाया और किसी दूसरे ने सौ मनुष्यों को सचित्त और अनछाना पानी पिलाकर सकुशल रखा।
६. पौष, माघ के महीने में ठंडी पड़ रही है, उस समय शीतल हवाएं चल रही हैं। सौ आदमी मूर्च्छित (ठिठुरे) पड़े हैं, उनको अग्नि जलाकर मरने से बचाया।