Book Title: Acharya Bhikshu Tattva Sahitya 01
Author(s): Tulsi Ganadhipati, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Sukhlal Muni, Kirtikumar Muni, Shreechan
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 339
________________ अनुकम्पा री चौपई ३२९ २६. कहते हैं-लक्कड़ में जलते हुए नाग नागिनी को पार्श्वकुमार ने बाहर निकाला। अग्नि में जलते हुए दोनों को पानी और अग्नि के जीवों की हिंसा करके भी जीवित रखा। यह उपकार सांसारिक है। २७. पार्श्वकुमार ने गृहत्याग करके जब कायोत्सर्ग किया, तब कमठ देव ने उन पर पानी बरसाकर उपसर्ग किया। उस समय पद्मावती देवी ने भगवान पार्श्वनाथ के नीचे सिंहासन बनाया और देव धरणेन्द्र ने उनके सिर पर छत्र किया। यह उपकार सांसारिक है। २८. नाग नागिनी को नवकार मंत्र सुनाकर चारों शरण और त्याग प्रत्याख्यान कराए। उन शुभ परिणामों में मरकर वे नाग और नागिनी धरणेन्द्र और पद्मावती देव हुए। यह निश्चय ही मोक्ष का उपकार है। २९. सुग्रीव का राम और लक्ष्मण ने उपकार किया तब सुग्रीव उनका सहयोगी-सखा बना। सीता की खबर लाकर रावण को मरवाया। इस प्रकार उसने दुविधा में प्रत्युपकार किया। यह उपकार सांसारिक है। ३०. कोई दुष्ट जीव जूं को मार रहा था। उसे समझाकर जूं को बचाया। उस जूं का जीव जब मनुष्य बना तो उस उपकारी का कोई झगड़ा उस जूं के जीव ने मिटा दिया। यह उपकार सांसारिक है। ३१. स्वामी के सामने सेवक मरकर अपने स्वामी को सकुशल बचा लेता है। तब स्वामी प्रसन्न होकर उसे पट्टा-परगना देता है और उसका इहलोक संबंधी कार्य सिद्ध कर देता है। यह उपाकर सांसारिक है। मरकर अपने स्वामी को सरल बचा

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