________________
अनुकम्पा री चौपई
३२७ २०. जिसका खाना-पीना, आभूषण आदि अव्रत में है, उसे मनचाहे ढंग से कोई खिलाता-पिलाता है। वह जो चाहता है, उसे वह धन-धान्य देता है। विविध प्रकार से साता (सुख) पहुंचाता है। यह सांसारिक उपकार है।
२१. जिसका खाना-पीना, आभूषण आदि अव्रत में है, उसे उपदेश देकर दूर छुड़ा देता है। उसके भीतर ज्ञानादि गुण भरता है और उसकी तृष्णाग्नि को निश्चय मिटा देता है। यह निश्चय ही मोक्ष का उपकार है।
२२. कोई व्यक्ति किसी के शरीर से नहरूआ, कीडा, लट, जूं, कनखजूरा, बग आदि निकाल देता है। उसे शारीरिक बहुत साता पहुंचाता है। यह उपकार सांसारिक है।
२३. किसी व्यक्ति के शरीर में पूर्वोक्त जीव जूं आदि उत्पन्न हो गए हैं, किसी व्यक्ति ने एक भी जीव को शरीर से बाहर निकालने का त्याग कराया, यह निश्चय ही मोक्ष का उपकार है।
२४. कोई गृहस्थ मार्ग भूलकर जंगल में भटक गया और उजड़ चलता जा रहा है। उसे कोई व्यक्ति मार्ग बताकर, थका हो तो कंधे पर बिठाकर उसके घर पहुंचा देता है। यह उपकार सांसारिक है।
२५. संसार रूप अटवी में भटके हुए व्यक्ति को यदि कोई ज्ञानादि का शुद्ध मार्ग बताता है, उसके पापरूप भार को दूर रखवाकर सुख शांति पूर्वक उसे मोक्ष पहुंचा देता है। यह निश्चय ही मोक्ष का उपकार है।