Book Title: Acharya Bhikshu Tattva Sahitya 01
Author(s): Tulsi Ganadhipati, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Sukhlal Muni, Kirtikumar Muni, Shreechan
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 335
________________ अनुकम्पा री चौप ३२५ १४. किसी के घर में आग लगी, वह जल रहा है । उसमें छोटे-बड़े कई जीव भी जल रहे हैं। कोई उस आग को बुझाकर उन जीवों को बाहर निकालता है उस आग को बुझाकर अनेक जीवों को साता पहुंचाता है। यह उपकार सांसारिक है। १५. किसी व्यक्ति के घट में तृष्णा की आग लगी है। जिसमें ज्ञानादि गुण जल रहे हैं। किसी ने उपदेश देकर उसके भीतर की आग को बुझाया, उसके रोम-रोम में सुख-संचार किया । यह निश्चय ही मोक्ष का उपकार है। १६. कोई व्यक्ति बालक को पाल-पोषकर मनोज्ञ पदार्थ खिला पिलाकर बड़ा करता है। फिर बड़े ठाठ से उसका विवाह करता है। फिर कमा- कमा कर धनमाल देता है । यह उपकार सांसारिक है । १७. कोई व्यक्ति अपने पुत्र को भलीभांति प्रतिबोध देकर धन-माल छुड़ाता है। स्त्री संबंधी काम-भोग एवं खाना-पीना आदि सबका भली भांति से त्याग कराता है । यह निश्चय ही मोक्ष उपकार है। १८. कोई दिन रात माता-पिता की सेवा करता है और उन्हें मनोज्ञ भोजन कराता है। उन्हें कावड़ में बिठा कंधे पर उठाकर घूमता है और दोनों समय उन्हें स्नान कराता है । यह उपकार सांसारिक है । १९. कोई व्यक्ति माता-पिता को अच्छी तरह से भेद - प्रभेद करके धर्म सुनाता है । उन्हें ज्ञान, दर्शन, चारित्र की प्राप्ति कराता है और काम भोग रूप शब्दादि विषयों को छुड़ाता है । यह निश्चय ही मोक्ष का उपकार है।

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