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अनुकम्पा री चौपई
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८. कोई किसी मरते जीव को झाड़ फूंक (मंत्रादि प्रयोग), औषधोपचार तथा अन्य अनेक उपायों से उसको बचाता है । स्वस्थ करता है । यह उपकार सांसारिक है।
९. कोई मरते जीव को किसी प्रकार का त्याग कराते हैं अथवा चारों शरण दिराकर उसे आमरण अनशन कराते हैं । पारिवारिक जनों से मोह घटाकर ज्ञान, ध्यान में उसके परिणाम बढ़ाते हैं । यह निश्चित ही मोक्ष का उपकार है।
१०. श्रावक का खाना-पीना सब अव्रत में है । उसका सेवन करते हैं तो सावद्य योग की प्रवृत्ति है और नव ही प्रकार का परिग्रह अव्रत में है । उसका कोई बार-बार सेवन कराते हैं, यह उपकार सांसारिक है।
११. श्रावक का खाना-पीना सब अव्रत में है । वैराग्य बढ़ाकर यदि कोई उसका त्याग कराता है और नौ ही प्रकार का परिग्रह अव्रत में है उसको छोड़ता है या छुड़ाता है, वह भाग्यशाली है । यह निश्चय ही मोक्ष का उपकार है ।
१२. कोई अग्नि में जलते मनुष्य को बाहर निकाल लेता है । कोई कुए में गिरते व्यक्ति को संभालकर बचा लेता है । कोई तालाब में डूबते व्यक्ति को बाहर निकाल लेता है और कोई ऊपर से गिरने वाले व्यक्ति को झेल कर बचा लेता है। ये उपकार सांसारिक हैं।
१३. जन्म मरण की अग्नि तथा भवकूप से जो व्यक्ति को बाहर निकालते हैं, नरक आदि नीच गतियों में जाने से बचाते हैं और संसार सागर से बाहर निकालकर उसका उद्धार करते हैं । यह निश्चित ही मोक्ष के उपकार है।