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दूहा
१. श्री जिनेश्वर देव ने दो प्रकार के उपकार बताए हैं । बुद्धिमान लोगों को इसका विचार करना चाहिए। उनमें एक मोक्ष संबंधी उपकार है और दूसरा संसारसंबंधी उपकार है 1
२. कोई मोक्ष संबंधी उपकार करता है, वहां जिनेश्वर देव स्वयं आज्ञा देते हैं । यदि कोई सांसारिक उपकार करता है, वहां आप मौन रहते हैं ।
३. कोई मोक्ष संबंधी उपकार करता है, उसमें निश्चय ही साक्षात धर्म होता है, किन्तु संसार संबंधी उपकार करता है, उसमें अंश मात्र भी धर्म नहीं होता ।
४. दोनों उपकार पृथक् पृथक् हैं । ये कहीं भी मेल नहीं खाते, किन्तु पाखंड़ी लोगों ने मिश्रधर्म की प्ररूपणा करके दोनों उपकारों में मिश्रण कर दिया।
५.
कौन-कौन से उपकार मोक्ष के हैं, और कौन-कौन से उपकार संसार के ? उनके स्वरूप एवं प्रकारों का वर्णन करता हूं, उसे विस्तार से सुनें ।
ढाल : ११
यह निश्चय ही मोक्ष का उपकार है।
१. ज्ञान दर्शन, चारित्र और तप इन चारों से संबंधित कोई उपकार करता है, उसे जिनेश्वर देव ने निश्चित ही निर्जरा धर्म कहा है और उसमें जिनेश्वर देव की आज्ञा है ।