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दूहा
१. जीव दया ने उपरें, मूलगा तीन दिसटंत।
आगे विसतार करें जितों, ते सुणजो कर खंत॥
ढाल : ५
(लय - सहेल्यां ए वांदो रूडा साध नें)
भव जीवां तुमे जिण धर्म ओळखों॥ १. एक चोर चोरें धन पार को, वले दूजो हों चोरावें आगेवांण।
तीजो कोइ करें अणुमोदना, ए तीनां रा हो खोटा किरतब जांण।
२. एक जीव हणे तसकाय ना, हणावें हो बीजों पर ना प्रांण।
तीजों पिण हर ए मारीयां, ए तीनोई हो जीव हंसक जांण॥
३. एक कुसील सेवें हरष्यों थको, सेवा. हो ते तो दूजें करण जोय।
तीजों पिण भलो जाणे सेवीयां, ए तीनां रे हो कर्म तणों बंध होय॥
४. ए सगला ने सतगुर मिल्या, प्रतिबोध्या हो आंण्या मारग ठाय।
किण किण जीवां में साधां उधऱ्या, तिणरो सुणजो हो विवरा सुध न्याय॥
५. चोर हंसक में कुसीलीया, या तांई रे दीधो साधां उपदेस।
त्याने सावध रा निरवद कीया, एहवो छे हों जिण दया धर्म रेस॥