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अनुकम्पा री चौपई
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३५. वे कहते हैं - गाय, भैंस आदि को बचाएंगे, परन्तु श्रावक के पेट पर हाथ नहीं फेरेंगे। ऐसे अज्ञानी व्यक्तियों की कोई मूर्ख ही बात मानता है ।
३६. गाड़ी के नीचे कोई बालक आ रहा है तो कहते हैं, साधुओं को उठा लेना चाहिए | श्रावक को नहीं उठाते, इस न्याय से यह मार्ग उल्टा है।
ऋतु के समय जीव अधिक होते हैं । लट, गजाईयां और कातरे मार्ग में पड़े रहते हैं।
३७. वर्षा
३८. साधु बाहर निकले, देख देख कर पैर रखते हैं। पीछे से पशु (गाय, भैंस) आ रहे हैं, परन्तु साधु उन जीवों को नहीं उठाते ।
३९. यदि बालक को उठा लेते हैं और इन जीवों को नहीं उठाते तो उनकी मान्यता के अनुसार उनके दिल में दया नहीं है ।
४०. जो बालक को उठा लेते हैं, अन्य जीवों को देखकर नहीं उठाते। इस श्रद्धा की परीक्षा करनी चाहिए। ऐसा न हो कि कोई इस फंदे में फंस जाए ।