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भिक्षु वाङ्मय खण्ड-१ ११. पेला संघयण ना रूड़ा हाड छ, पहलों संठाण रूड़ें आकार हो लाल।
ते पामें सुभ नाम उदे थकी, हाड ने आकार श्रीकार हो लाल।।
१२. भला भला वर्ण मिले जीव नें, गमता गमता घणां श्रीकार हो लाल।
ते पामें सुभ नाम उदें हूआं, जीव भोगवें विविध प्रकार हो लाल।।
१३. भला भला मिले गंध जीव नें, गमता गमता घणा श्रीकार हो लाल।
ते पामें सुभ नाम उदे थकी, जीव भोगवे विविध प्रकार हो लाल।।
१४. भला भला मिलें रस जीव नें, गमता गमता घणा श्रीकार हो लाल।
ते पामें सुभ नाम उदें थकी, जीव भोगवें विविध प्रकार हो लाल।।
१५. भला भला मिलें फरस जीव नें, गमता गमता घणा श्रीकार हो लाल।
ते पामें सुभ नाम उदें थकी, जीव भोगवें विविध प्रकार हो लाल।।
१६. तस रो दस कों छे पुन उदें, सुभ नाम उदें सुं जांण हो लाल।
त्यांने जूआ जूआ करे वरणवू, निरणों कीजों चतुर सुजाण हो लाल।।
१७. तस नाम शुभ कर्म उदय थकी, तसपणों पामें जीव सोय हो लाल।
बादर सुभ नाम कर्म उदें हुआं, जीव चेतन बादर होय हो लाल।
१८. प्रतेक सुभ नाम उदें हूआं, प्रतेक सरीरी जीव थाय हो लाल।
प्रज्यापता सुभ नाम थी, प्रज्यापतो होय जाय हो लाल।।
१९. सुभ थिर नाम कर्म उदें थकी, सरीर ना अवयव दिढ थाय हो लाल।
सुभ नाम थी नांभ मस्तक लगें, अवयव रूड़ा हूवें ताहि हो लाल।।
२०. सोभाग नाम सुभ कर्म थी, सर्व लोक नें वलभ होय हो लाल।
सुस्वर सुभ नाम कर्म सूं, सुस्वर कंठ मीठो हुवें सोय हो लाल।।