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नव पदार्थ
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२८. इसी तरह आश्रव नाले को रोक कर जीव सहर्ष तपस्या करता है । तब सभी कर्मों का अंत आता है और जीव कर्मों से रहित हो जाता है।
२९. कर्म रहित होकर जीव निर्मल होता है। उस जीव को मोक्ष कहा जाता है। वह शाश्वत सिद्ध होता है। उसने सर्व कर्म-बन्ध का क्षय कर दिया है ।
३०. यह जोड़ बंध तत्त्व को समझाने के लिए नाथद्वारा में सं. १८५६, चैत्र कृष्णा १२ वार शनिवार को रची गई है।