________________
अनुकम्पा री चौपई
२२१
४२. कोणिक भगवान का भक्त था और चेटक बारह व्रती श्रावक । इन्द्र सहयोगी बनकर आया वह भी सम्यक्त्वी था । ये सब मर्यादा का लंघन कैसे करते ? ।
४३. किसी का ज्ञान, दर्शन एवं चारित्र बढ़ता जाने तो भगवान भव्य जीवों की अनुकंपा करते हैं। बिना बुलाए वहां जाते हैं।
४४. समुद्रपाल सांसारिक सुखों में झूल रहा था । संसार में उसे रस - आनन्द आता था। चोर को मारते हुए देखकर उसे उत्कृष्ट वैराग्य उत्पन्न हो गया।
४५. मोक्ष के उपायों को जानकर कर्म काटने के लिये उसने चारित्र ग्रहण कर लिया। परन्तु न चोर की करुणा की न उसे छुड़ाने की बात मुंह से निकाली।
४६. साधु और श्रावक की एक रीति है । तुम सूत्रोक्त न्याय को समझो । आन्तरिक दृष्टि से विचार करके देखो। झूठी बकवास क्यों करते हो ? |