________________
अनुकम्पा री चौपई
२१९ ३२. यदि तूं अपना धर्म नहीं छोड़ेगा तो देव गुरू तुल्य तुम्हारी माता को तुम्हारे सामने लाकर इसी प्रकार मारूंगा।
३३. जब तूं आर्तध्यान करके नीच गति में जाकर पैदा होगा। यह सुनकर चूलनीपिता विचलित हो गया। माता की सुरक्षा के उपाय करने लगा।
३४. यह पुरूष तो अनार्य कहे जैसा है। इसे पकड़कर रखू ताकि मेरी माता की घात नहीं कर सके। वह तो माता भद्रा को बचाने के लिए उठा, पर उसके हाथ में खंभा आ गया।
३५. माता की अनुकंपा की तो व्रत और नियम भंग हो गए। विचारो, ऐसी मोह-अनुकंपा को धर्म कैसे कहा जा सकता है ? ।
३६. चूलनीपिता, सुरादेव, चूलशतक और शकड़ाल-इन चारों के पुत्रों को मारकर देवता ने तेल उबालकर उसमें तला।
३७. पुत्रों को मरते हुए देखा, पर मोह-अनुकंपा प्रेम नहीं की। माता, स्त्री आदि को जब बचाने उठे तो व्रत एवं नियम भंग हो गए।
३८. माता, स्त्री आदि की रक्षा करने से व्रत भंग हुए और कर्म बंध हुआ तो साधु यदि बीच में जाकर पड़े तो धर्म कैसे होगा?।
३९. चेटक और कोणिक का वर्णन निरयावलिका एवं भगवती सूत्र में है। दो संग्रामों में एक करोड़ अस्सी लाख मनुष्य मरे।
४०. भगवान महावीर अनुकंपा करके न स्वयं गए न अपने साधुओं को भेजा और बहुत जीवों की विराधना जानकर पहले भी उन दोनों को नहीं रोका।
४१. इस कार्य को यदि दया-अनुकंपा समझते तो स्वयं भगवान महावीर आगे होकर जाते और सबको थोड़े में ही साता करके सुखी बना देते।