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नव पदार्थ
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६४. श्रावक की देश-विरति होती है और साधु की सर्व-विरति । जिस तरह देशविरति सर्व-विरति में समा जाती है, उसी तरह निर्जरा मोक्ष में समा जाती है।
६५. जीव का एक देश उज्ज्वल होना निर्जरा है और सर्व उज्ज्वल होना मोक्ष । इसलिए निर्जरा और मोक्ष दोनों जीव हैं, जीव के निर्दोष उज्ज्वल गुण हैं।
६६. निर्जरा को समझाने के लिए यह जोड़ नाथद्वारा शहर में सं. १८५६, फाल्गुन शुक्ला दशमी, गुरुवार को की गई है।