Book Title: Acharang Sutram Part 02
Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni
Publisher: Aatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
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श्री आचाराङ्ग सूत्रम्, द्वितीय श्रुतस्कन्ध साधु को घरों में किस तरह के आहार की गवेषणा करनी चाहिए, इसका उल्लेख करते हुए
सूत्रकार कहते हैं
मूलम्- से भिक्खू वा २ जाव पविसिउकामे से जं पुण जाणिज्जा खीरिणियाओंगावीओ खीरिजमाणीओ पेहाए असणं वा ४ उवसंखडिजमाणं पेहाए पुरा अप्पजूहिए सेवं नच्चा नो गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए निक्खमिज्ज वा पविसिज वा।से तमादाय एगंतमवक्कमिजा अणावायमसंलोए चिट्ठिज्जा, अह पुण एवं जाणिजा-खीरिणियाओ गावीओ खीरियाओ पेहाए असणं वा ४ उवक्खडियं पेहाए पुराए जूहिए सेवं नच्चा तओ संजयामेव गाहा निक्खमिज्ज वा०॥२३॥
छाया- स भिक्षुर्वा यावत् प्रवेष्टकामः तद् यत् पुनः जानीयात् क्षीरिण्यो गावः दुह्यमानाः दुग्धाः प्रेक्ष्य अशनं वा ४ उपसंस्क्रियमाणं प्रेक्ष्य पुरा-पूर्वं सिद्धेऽप्योदनादिके स एवं ज्ञात्वा न गृहपतिकुलं पिण्डपातप्रतिज्ञया निष्क्रामेद् वा प्रविशेद् वा। स तमादाय एकान्तमपक्रामेत् अनापाते असंलोके तिष्ठेत्। अथ पुनरेवं जानीयात् क्षीरिण्यो गावो दुह्यमानाः प्रेक्ष्य अशनं वा ४ उपसंस्कृतं प्रेक्ष्य पूर्वे सिद्धे स एवं ज्ञात्वा ततः संयत एव गृहपतिकुलं निष्क्रामेद् वा।
___ पदार्थ- से-वह। भिक्खू वा २-साधु वा साध्वी। जाव-यावत् गृहपति के घर में। पविसिउकामे-प्रवेश करने की इच्छा रखता हुआ।से जं पुण जाणिज्जा-फिर यदि इस प्रकार जाने कि।खीरिणियाओ गावीओ-दूध देने वाली गाएं।खीरिजमाणीओ-जो कि दोही जा रही है उनको। पेहाए-देखकर तथा। असणं वा ४-अशनादिक चतुर्विध आहार जो कि वहां पर। उवसंखडिजमाणं-बनाया जा रहा है, उसको। पेहाएदेखकर। पुरा अप्पजूहिए-जिस में से अभी तक और किसी को दिया नहीं गया ।से-वह साधु। एवं-इस प्रकार। नच्चा-जानकर। गाहावइकुलं-गृहपति-गृहस्थ के घर में। पिण्डवायपडियाए-आहार लेने की प्रतिज्ञा से। नो निक्खमिज वा-न तो उपाश्रय से निकले और न। पविसिज वा-किसी के घर में प्रवेश करे, किन्तु क्या करे अब उसके विषय में कहते हैं। से-वह भिक्षु।तं-उस दुग्धादि पदार्थ को।आवाय-जानकर। एगंतमवक्कमिज्जाएकान्त स्थान में चला जाए, एकान्त में जाकर। अणावायमसंलोए-जहां पर कोई गृहस्थादि न आता-जाता हो
और न देखता हो ऐसे स्थान पर। चिट्ठिज्जा-खड़ा हो जाए। अह पुण एवं जाणिज्जा-और वहां पर ठहरा हुआ यदि ऐसा जाने कि-। खीरिणियाओ-दूध देने वाली। गावीओ-गौएं। खीरियाओ-दोही जा चुकी हैं ऐसा। पेहाए-देखकर। असणं वा-अशनादिक-। उवक्खडियं-तैयार हो चुका है ऐसे। पेहाए-देखकर-जानकर। पुराए जूहिए-तथा उन दुग्धादि में से दूसरों को दिया जा चुका है। स-वह साधु। एवं-इस प्रकार। नच्चाजानकर। तओ-तदनन्तर। संजयामेव-साधु। गाहा०-गृहस्थ के घर में भिक्षा के निमित्त। निक्खमिज वा०स्वस्थान से निकले और गृहस्थ के घर में प्रवेश करे।