Book Title: Acharang Sutram Part 02
Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni
Publisher: Aatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
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श्री आचाराङ्ग सूत्रम्, द्वितीय श्रुतस्कन्ध भिक्षुः भिक्षुकी वा ग्रामानुग्रामं दूयमानः-गच्छन् अन्तराले तस्य प्रातिपथिकाः उपागच्छेयुः, ते प्रातिपथिकाः एवं वदेयुः- आयुष्मन्तः श्रमणाः ! अपिच इतः प्रतिपथे पश्यथ? उदकप्रसूतानि कन्दानि वा मूलानि वा त्वचो वा पत्राणि पुष्पाणि फलानि बीजानि हरितानि उदकं वा सन्निहितं अग्निं वा संनिक्षिप्तं तं आचक्षध्वम् च यावत् दूयेत। स भिक्षुर्वा ग्रामानुग्रामं गच्छन् अन्तराले तस्य प्रातिपथिकाः उपागच्छेयुः ते प्रातिपथिकाः एवं वदेयुः आयुष्मन्तः श्रमणा ! अपि च इतः प्रतिपथे पश्यथ यवसानि वा यावत् स वा विरूपरूपं संनिविष्टं तम् आचक्षध्वम् यावत् दूयेत-गच्छेत्। स भिक्षुर्वा ग्रामानुग्रामं दूयमानः-गच्छन् अन्तराले प्रातिपथिकाः यावत् आयुष्मन्तः श्रमणाः ! कियत् इतः ग्रामो वा यावद् राजधानी वा तदाचक्षध्व यावत् दूयेत। स भिक्षुर्वा भिक्षुकी वा ग्रामानुग्रामं गच्छेत् अन्तराले तस्य प्रातिपथिकाः आयुष्मन्तः श्रमणाः ! कियान् इतः ग्रामस्य वा नगरस्य वा यावत् राजधान्या वा मार्गः तदाचक्षध्वम् तथैव यावत् ,
दूयेत।
__पदार्थ-से भिक्खू वा-वह साधु या साध्वी। दूइज्जमाणे-विहार करते हुए।अंतरा से-उसके मार्ग में। पाडिवहिया-पथिक लोग सामने से। उवागच्छिज्जा-आ जाएं। णं-और। ते-वे साधु को। एवं-इस प्रकार। वइज्जा-कहें कि।आउसंतो समणा !-आयुष्मन् श्रमण ! अवियाई-क्या आपने। इत्तो पडिवहे-इस मार्ग में आते हुए किसी को। पासह-देखा है। तं-जैसे कि। मणुस्सं वा-मनुष्य को। गोणं वा-बैल को। महिसं वामहिष को। पसुं वा-पशु को। पक्खिं वा-पक्षी को। सिरीसिवं वा- सर्प को अथवा। जलयर वा-जलचर को।से-उसको।आइक्खह-कहो और। दंसेह-दिखलाओ, इस प्रकार के प्रश्न किए जाने पर साधु। तं-उसे। नो आइक्खिजा-न तो कुछ कहे और। नो दंसिज्जा-न दिखलावे। तस्स-उसके। तं परिन्नं-इस कथन को। नो परिजाणिज्जा-स्वीकार न करे किन्तु। तुसिणीए उवेहेजा-मौन वृत्ति में रहे अर्थात् चुप रहे। जाणं वा-अथवा जानता हुआ भी। जाणंति-मैं जानता हूँ इस प्रकार। नो वइजा-न कहे अर्थात् चुप रहे।तओ-तदनन्तर।सं०-यतना पूर्वक। गामा०-ग्रामानुग्राम। दू०-विहार करे।
से भिक्खू वा-वह साधु या साध्वी। गा०-एक ग्राम से दूसरे ग्राम को। दू०-गमन करता हुआ।अंतरा से-उसके मार्ग में यदि। पाडि-पथिक लोग। उवा-सामने आ जाएं। णं-और। ते-वे। पा०-पथिक लोग। एवं वइज्जा-इस प्रकार कहें। आउ० स०-आयुष्मन् श्रमण ! अवियाई-अपिच-क्या आपने। इत्तो-इस।पडिवहेमार्ग में इनको। पासह-देखा है ? जैसे कि। उदगपसूयाणि-उदकप्रसूत-जल से उत्पन्न हुए। कंदाणि-कन्द। मूलाणि वा-अथवा मूल। तयाणि-त्वचा-वृक्ष की छाल। पत्ताणि-पत्र। पुष्पाणि-पुष्प-फूल। फलाणिफल। बीयाणि-बीज। हरियाणि-हरित काय। उदगं-उदक-पानी। वा-अथवा। संनिहियं-संनिहित पानी के स्थान तड़ाग आदि। अगणिसंनिखित्तं-अप्रज्वलित हुई अग्नि। ते-उसको। आइक्खह-कहो। जाव-यावत्। दूइज्जिज्जा-विहार करे। से भिक्खू वा-वह साधु या साध्वी। गामा०-ग्रामानुग्राम। दूइज्जमाणे-विहार करता हुआ। से-उसके।अंतरा-मार्ग में यदि। पाडि-पथिक लोग। उवा-आ जाएं।णं-और।ते-वे। पाडि-पथिक लोग। एवं-इस प्रकार कहें। आउ० स०-आयुष्मन् श्रमण।अवियाई-क्या आप ने। इत्तो पडिवहे-इस मार्ग में।