Book Title: Acharang Sutram Part 02
Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni
Publisher: Aatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
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दशम अध्ययन
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त्रिकेषु वा चतुष्केषु वा चत्वरेषु चतुर्मुखेषु वा अन्यतरस्मिन् वा तथा स्थं नो उ० व्युः॥स भि. स यत् पुनः एवं स्थं जानीयात् अंगारदाहेषु वा क्षारदाहेषु वा मृतकदाहेषु वा मृतकस्तूपिकासु वा मृतकचैत्येषु वा अन्यतरस्मिन् वा तथा स्थं नो उ० व्युः॥ स भि० स यत् पुनः एवं स्थं जानीयात् नद्यायतनेषु वा पंकायतनेषु वा ओघायतनेषु वा सेचनपथे वा अन्यतरस्मिन् वा तथा स्थं नो उ० व्युत्सृजेत्। स भि० स यत् पुनः एवं स्थं जानीयात् नवासु वा मृत्तखानिषु वा नवासु गोप्रहेल्यासुवा गवादनीषु वा खनीषु वा अन्यतरस्मिन् वा तथाप्रकारे स्थंडिले नो उच्चारप्रस्त्रवणं व्युः। स भि० स यत् पुनः एवं स्थं जानीयात् डालवर्चसि वा शाकवर्चसि वा मूलकवर्चसि वा हस्तंकरवर्चसि वा अन्यतरस्मिन् वा तथाप्रकारे स्थंडिले नो उच्चारप्रस्रवणं व्युत्सृजेत्॥स भि. स यत् पुनः स्थं जानीयात् अशनवने वा शणवने वा धातकीवने वा केतकीवने वा आम्रवने अशोकवने वा नागवने वा पुन्नागवने वा चुल्लगवने वा अन्यतरेषु वा तथाप्रकारेषु स्थंडिलेषु वा पत्रोपेतेषु वा पुष्पोपेतेषु वा फलोपेतेषु वा बीजोपेतेषु वा हरितोपेतेषु वा नो उ० व्युः।
पदार्थ- से भि०-वह साधु अथवा साध्वी। से जं-वह जो फिर। थंडिल्लं जाणेज्जा-स्थंडिल के सम्बन्ध में जाने। खलु-निश्चय। इह-इस संसार में। गाहावई वा-गृहपति। गाहावइपुत्ता वा-या गृहपति के पुत्र ने।कंदाणि वा-कंद मूल आदिजाव-यावत्।बीयाणि वा-बीज आदि।परिसाडिंसुवा-भूतकाल में रखे थे। परिसाडिति-वर्तमान काल में रखते हैं। परिसाडिस्संति वा-और आगामी काल में रखेंगे। अन्नयरंसि वाअथवा अन्य कोई। तह-तथाप्रकार के स्थंडिल में। नो उ०-उच्चार प्रस्रवण का परित्याग न करे-परठे नहीं।
से भि-वह साधु या साध्वी। से जं पुण थं जाणे-वह पुनः स्थंडिल के सम्बन्ध में जाने। इह खलु-निश्चय ही इस संसार में। गाहावई वा-गृहपति या। गा• पुत्ता वा-गृहपति के पुत्र ने। सालीणि-शालीधान्य। वा-अथवा। वीहीणि वा-बीहि-धान्य विशेष। मुग्गाणि वा-मूंग। मासाणि वा-उड़द। कुलत्थाणि वा-कुलत्थ पहाड़ी प्रदेश में उत्पन्न होने वाले धान्य विशेष तथा। जवाणि वा-यव अथवा। जवजवाणि वा-मोटे यव या ज्वार आदि को। पइरिसुवा-भूतकाल में वपन किया है। पइरिंति वा-अथवा वर्तमान काल में बो रहा है। पइरिस्संति वा-या भविष्यत् काल में बोएगा। अन्नयरंसि-अथवा अन्य कोई ऐसी क्रिया करता है। तहतथाप्रकार के। थंडि-स्थंडिल में। नो उ०-उच्चार प्रस्रवण का व्युत्सर्ग न करे।से भि०-वह साधु या साध्वी। से जं-वह पुनः स्थंडिल के सम्बन्ध में जाने कि ।आमोयाणि वा-जहां पर कचरे का ढेर लगा हो। घासाणि वाभूमि पर बड़ी-बड़ी दरारें पड़ी हुई हों। भिलुयाणि वा-भूमि पर सूक्ष्म रेखाएं पड़ी हुई हों। विजुलयाणि वा-या
हो। खाणयाणि वा-स्तम्भ और कीलकादि गाडे हए होंया।कडयाणि वा-दुक्ष आदि के डंडे पडे हों। पगडाणि वा-बड़े एवं गहरे खड्डे हों। दरीणि वा-अथवा गुफाएं हों। पडुग्गाणि वा-किले की दीवार हो। समाणि वा विसमाणि वा-पूर्वोक्त स्थान सम हों अथवा विषम हों या। अन्नयरंसि-ऐसा ही अन्य कोई स्थान हो तो। तह-तथाप्रकार के स्थंडिल में। नो उ०-मल मूत्र आदि का त्याग न करे।।
से भि०-वह साधु या साध्वी।से जं पुण-वह पुनः।थंडिल्लं जाणिज्जा-स्थंडिल के सम्बन्ध में जाने कि। माणुसरंधणाणि वा-जहां भोजन तैयार करने के लिए चूल्हा या भट्ठी आदि हो या। महिसकरणाणि वा-जहां पर भैंस को रखने एवं बान्धने का स्थान हो इसी प्रकार। वसहक०-वृषभ आदि के लिए स्थान हो या।
काच